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मुंबई: पिछले काफी समय से रिश्ते में आ रहे तनाव के बीच एनडीए में शामिल शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ने का फैसला कर लिया है। आपको बता दे कि मंगलवार को शिवसेना की कार्यकारिणी की बैठक में यह तय हुआ था शिवसेना ने 2019 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है।

वही , अगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और लोकसभा अकेले लड़ने की घोषणा करने के एक दिन बाद शिवसेना ने इस फैसले के लिए आज भाजपा को जिम्मेदार बताते हुए आरोप लगाया कि राजग में सहयोगी दलों को महत्व नहीं दिया जा रहा है। इस बात पर जोर देते हुए कि पार्टी ने अपनी भविष्य की रणनीति तय कर ली है, शिवसेना ने छत्रपति शिवाजी का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा कि मराठा राजा उस वक्त स्वराज के अपने सपने को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़े जब लोग उनसे सवाल कर रहे थे कि मुगल शासकों के खिलाफ लड़ने के लिए संसाधन कहां से जुटाएंगे। शिवसेना ने सवाल किया कि ऐसी स्थिति में अब उनके निर्णय सवाल क्यों उठाये जा रहे हैं जबकि भाजपा आगामी आम चुनावों में 380 से ज्यादा सीटें जीतने के लक्ष्य को लेकर सहयोगी दलों को दरकिनार कर रही है।

पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा है, शिवसेना का लक्ष्य सामाजिक उत्थान है, वह राजनीतिक जीत-हार की चिंता नहीं करती है। केन्द्र और महाराष्ट्र दोनों सरकारों में सहयोगी दल के रूप में शामिल शिवसेना ने कल कहा था कि 2019 लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव के लिए वह बीजेपी के साथ गठजोड़ नहीं करेगी।

संपादकीय में सवाल किया गया है, ‘‘भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 2019 लोकसभा चुनावों के लिए 380 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। जब इस लक्ष्य को तय करते हुए राजग के सहयोगियों को दरकिनार किया जा रहा है, ऐसे में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में शिवसेना के अकेले लड़ने के फैसले पर आश्चर्य क्यों है? उसमें लिखा गया है, बीजेपी नेता दिवंगत प्रमोद महाजन ने उस वक्त चुनाव में सत-प्रतिशत जनादेश प्राप्त करने का आह्वान किया था, लेकिन किसी ने उनसे सवाल नहीं किया कि शिवसेना को दरकिनार क्यों किया जा रहा है। जबकि शिवसेना उस वक्त भी महाराष्ट्र और केन्द्र में भाजपा की सहयोगी थी।

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