मुंबई: शिवसेना के एनडीए से अलग होने की घोषणा के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने साफ कर दिया है कि उन्हें 2019 का लोकसभा चुनाव शिव सेना के बिना लड़ने में कोई दिक्कत नहीं है। महाराष्ट्र भाजपा के प्रेसिडेंट आशील सेलार ने कहा, 'हम अकेले 2019 का चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। हम यह शिव सेना को बताना चाहते हैं कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें ही होगा।
महाराष्ट्र में शिव सेना और भाजपा गठबंधन की शुरुआत से ही दिक्कतें आती रही हैं। सेना ने हर मौके पर भाजपा को निशाना बनाया। पार्टी ने स्थानीय चुनाव भी अपने दम पर लड़ा और उसे नुकसान का सामना करना पड़ा।
गौरतलब है कि मंगलवार को शिव सेना ने बड़ा फैसला लेते हुए 2019 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव भाजपा से अलग हो कर लड़ने का फैसला लेकर सभी को चौंका दिया था। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने राज्य और केंद्रीय चुनाव की अगली लड़ाई को अलग होकर लड़ने का फैसला किया है।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने यह भी ऐलान किया कि अब पार्टी महाराष्ट्र से बाहर भी अपने आधार को बढ़ाने के लिए सभी राज्यों में चुनाव लड़ेगी। ठाकरे ने वर्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपने अध्यक्षीय भाषण में पार्टी नेताओं को प्रेरित करते हुए कहा,'अगले चुनाव के लिए तैयार हो जाइए। यह दिसम्बर 2018 में एक साथ घोषित किए जा सकते हैं या अलग से कराए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि लंबे समय से पार्टी ने हिंदू वोट के विभाजन को रोकने के लिए गुजरात और गोवा जैसे राज्यों में कुछ प्रयासों को छोड़कर अन्य राज्यों में जानबूझकर चुनाव लड़ने से परहेज किया। ठाकरे ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए अपने भाषण में कहा, 'अब, हमें हिंदुत्व के मुद्दे पर हर राज्य में होने वाले चुनाव में लड़ना होगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम जीते या हारें, लेकिन हिंदुत्व को त्यागा नहीं जा सकता।'
चार साल में यह दूसरी दफा है जब शिवसेना ने महाराष्ट्र में अपने अकेले के बूते पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना-भाजपा का गठबंधन टूट गया था और दोनों पार्टियों ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था। हालांकि करीब छह महीने पहले ही अप्रैल 2014 में दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव साथ लड़ा था जिसके नतीजे अभूतपूर्व आए थे।
विधानसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी जबकि शिवसेना को एक महीने तक विपक्ष में बैठना पड़ा था और उसके बाद उसी साल शिवसेना ने भाजपा से हाथ मिला लिया। फरवरी 2017 में बृह्न मुंबई नगर निगम चुनावों के दौरान शिवसेना ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसी के साथ पार्टी ने देश के सबसे बड़े और अमीर निकाय पर कब्जा किया और अपने राजग सहयोगी को दूसरे नंबर पर धकेल दिया। इस दिन को शिवसेना के संस्थापक और सुप्रीमो बाल ठाकरे की 92वीं जयंती के रूप में मनाया जाता है। बाल ठाकरे का 17 नवंबर 2012 को निधन हो गया था।