चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने पिछले तीन सालों से किसानों की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर कोई सिफारिश नहीं भेजी है। यह दावा एक सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर किया है। आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश कुमार बैंस ने बताया कि उन्होंने आरटीआई के तहत प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से 26 जुलाई को तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी।
वर्ष 2016-17, 2017-18, 2018-19 की हरियाणा में खरीफ व रबी की फसलों की कृषि लागत/कीमतों और एमएसपी के तुलनात्मक वक्तव्य की जानकारी, कृषि विश्वविद्यालय की निकाली गई सभी फसलों की लागत की जानकारी के साथ व खरीफ व रबी की फसलों की कृषि लागत/कीमतों और एमएसपी के तुलनात्मक वक्तव्य की केंद्र सरकार को लिखे पत्रों की प्रतियां मांगी गई थीं। इसके जवाब में विभाग ने बताया कि पिछले वर्षों के मुकाबले गेहूं की लागत में 24 रुपए प्रति किवंटल, चना की लागत में 383 रुपए, जौ की लागत में 25 रुपए, सरसों/तोरिया की लागत में 26 रुपए, बाजरा की लागत मे 48 रुपए, मक्की की लागत में 15 रुपए, और कपास की लागत में 530 रुपए प्रति क्विंटल वृद्धि हुई है जबकि धान की लागत में 20 रुपए प्रति किवंटल की कमी आई है।
कृषि विश्वविद्यालय फसल की लागत से अंजान
बैंस ने कहा कि किसानों का कहना है कि खाद, बीज, श्रम व डीजल के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई है सो धान की लागत कैसे कम हो सकती है। उन्होंने बताया कि बिंदू क्रमांक दो के उत्तर में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने अपने पत्र क्रमांक एसपीआईओ/सीएएच/18-14768 दिनांक 3/10/18 में कहा कि बिंदु संख्या दो की अर्थशास्त्र विभाग से प्राप्त सूचना शून्य समझी जाए यानि कृषि विश्वविद्यालय को किसानों की फसल की लागत का पता ही नहीं।
तीन साल से नहीं भेजीं सिफारिशें
इसी प्रकार बिंदु क्रमांक तीन की सूचना के उतर में विभाग ने बताया कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग क्षेत्रीय स्तर पर राज्यों की बैठक राज्य में ही करवाता है। बैठक में आयोग किसानों एवं कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से विस्तार पूर्वक विचार करता है। इसमें राज्यों के किसान प्रतिनिधि, कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक तथा संबंधित विभाग के अधिकारी भाग लेते हैं। इसके आधार पर आयोग केंद्र सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य हेतु सिफारिशें भेजता है वर्ष 2016-17, 2017-18 तथा 2018-19 में कृषि विभाग ने अलग से न्यूनतम समर्थन मूल्य की कोई भी सिफारिश नहीं भेजी।
किसानों की आय कैसे होगी दोगुनी
बैंस के अनुसार, इससे स्पष्ट होता है कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को हरियाणा सरकार की तरफ से कोई भी तुलनात्मक वक्तव्य नहीं भेजा गया यानि केंद्र सरकार को एमएसपी तय करते समय हरियाणा के किसानों की कितनी लागत आती है, इसकी जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने सवाल किया कि तब हरियाणा के कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ किस आधार पर किसानों की आय दोगुनी करने की बातें करते हैं।