सोनीपत: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा के सोनीपत और पानीपत जिलों में बिना आवश्यक मंजूरी के चल रही उन औद्योगिक इकाइयों के निरीक्षण के आदेश दिए हैं जिनसे जल प्रदूषित हो रहा है। एनजीटी में दायर एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि संचालन के लिए अनुमति लेने के उसके आदेश के बावजूद इस तरह की औद्योगिक इकाइयां बिना किसी अनुमति के चल रही हैं। इस वजह से जल प्रदूषित हो रहा है।
जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों का संयुक्त दल गठित
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस जवाद रहीम की बैंच ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केन्द्रीय भूमि जल अधिकरण और संबंधित जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों का एक संयुक्त दल गठित किया है जो इन आरोपों की जांच करेगा और इसके समाधान के लिए एक कार्य योजना सुझाएगा।
बैंच ने कहा कि संयुक्त दल का संयोजक केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रतिनिधि होगा। संयुक्त दल अपनी बैठक दो हफ्ते में कर सकता है और हालात का जायजा ले सकता है और कोई कार्य योजना तैयार कर सकता है। बैंच ने कहा कि बाद में यह कार्ययोजना समयबद्ध ढंग से कार्यान्वित की जा सकती है।
आदेश अदालती डिक्री की तरह बाध्यकारी
एनजीटी ने साफ किया कि उसका आदेश अदालती डिक्री की तरह बाध्यकारी है और इसका अनुपालन नहीं होने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट, 2010 के तहत दंडात्मक कार्रवाई होगी। एनजीटी ने यह निर्देश शैलेश सिंह की याचिका पर दिया। याचिका में इन औद्योगिक इकाइयों से जल प्रदूषण होने का आरोप लगाते हुए उन्हें खेतों में अपने अनुपचारित अवजल छोड़ने से रोकने का भी आग्रह किया गया है।