ताज़ा खबरें
एलजी ने सीएम आतिशी को केजरीवाल से ‘हजार गुना बेहतर’ बताया
कैशकांड पर विनोद तावड़े ने राहुल-खड़गे-श्रीनेत को भेजा कानूनी नोटिस

नई दिल्ली: भारत का सार्वजनिक ऋण बीते दिसंबर के अंत तक बढ़कर 55.26 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया, जो तिमाही दर तिमाही 3 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। सरकार का ऋण (लोक लेखा के तहत देनदारियों को छोड़कर) सितंबर के अंत तक 53.66 लाख करोड़ रुपये था। वित्त मंत्रालय द्वारा ऋण प्रबंधन पर जारी तिमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक ऋण में आंतरिक ऋण की हिस्सेदारी 92.2 प्रतिशत रही जो इससे पिछली तिमाही में 92 प्रतिशत थी। कुल सार्वजनिक ऋण में बिक्री योग्य प्रतिभूतियों (रुपये में ऋण प्रतिभूतियां व ट्रेजरी बिल) का योगदान 85.7 प्रतिशत रहा जो सितंबर, 2015 के अंत में 85.3 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है, 'दिसंबर, 2015 के अंत तक सरकार का बकाया आंतरिक ऋण 50,97,016 करोड़ रुपये रहा जो जीडीपी का 37.2 प्रतिशत है, जबकि सितंबर के अंत में यह 37.1 प्रतिशत था।'

मुंबई: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रिजर्व बैंक के साथ किसी भी तरह के मतभेद से साफ इनकार किया। उन्होंने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और आरबीआई के बीच असहमति की खबरों पर चुटकी लेते हुये कहा कि यह साजिश की परिकल्पना करने के हमारे राष्ट्रीय प्रेम का नतीजा है। जेटली ने कहा कि उनके रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के साथ अच्छे पेशेवर संबंध है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि भारत में आम तौर पर लोग साजिश की परिकल्पना करना पसंद करते हैं। उन्होंने कल शाम कहा, मुझे लगता है कि चाहे नार्थ ब्लॉक (वित्त मंत्रालय) हो या मिंट रोड (आरबीआई), ये जिम्मेदार संस्थान हैं। बहुत से लोग हैं जो शांत रहकर अपना काम करते हैं क्योंकि उनकी प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं। जेटली ने हालांकि, इस सवाल को टाल दिया कि राजन को तीन सितंबर का कार्यकाल पूरा होने पर आरबीआई प्रमुख के तौर पर दूसरा मौका मिलेगा या नहीं। उन्होंने कहा, इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है।

मुंबई: वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज (मंगलवार) सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट करते हुए कहा कि देश को गरीबी से छुटकारा दिलाने और सकल घरेलू उत्पाद के समग्र विस्तार के लिए कृषि क्षेत्र को सबसे अधिक तेजी से आगे बढ़ना होगा। जेटली यहां नाबार्ड में आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन हाल ही में घोषित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर किया गया। उन्होंने कहा ‘‘यदि भारत को वृद्धि दर्ज करनी है और गरीबी से छुटकारा पाना है तो कृषि क्षेत्र को सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज करनी होगी . कृषि अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि लगातार दो साल खराब मानसून के बाद अब यदि इस साल भी कम बारिश होती है तो यह पूरी प्रणाली की परीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अप्रैल से मिशन के तौर पर पेश की जाएगी ताकि इस साल से ही खरीफ मौसम की फसल को बीमा सुरक्षा प्रदान की जा सके।

नई दिल्ली: भारत को बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने के लिए बढ़ते वेतन और बुजुर्गों की संख्या बढ़ने के कारण चीन से बाहर जा रही बड़ी विनिर्माण कंपनियों के लिए आकषर्क गंतव्य के तौर पर उभरना चाहिए। यह बात नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पणगढ़िया ने कही। पनगढ़िया ने यहां सीआईआई के सम्मेलन में कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि चीन में काम कर रही बड़ी कंपनियों के मामले में बड़ा बदलाव आने वाला है। भारत को उनके लिए गंतव्य बनना होगा। भारत के लिए इन कंपनियों को आकषिर्त करने का बहुत अच्छा समय है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन में जनसांख्यिकीय बदलाव (बुजुर्गों की बढ़ती संख्या) भारत के एकदम उलट है। चीन में कार्यबल घट रहा है। इसलिए श्रम केंद्रित उद्योग चीन से बाहर जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज आप देखते हैं कि चीन में वेतन बढ़ रहा है और अब तक दो से तीन गुना बढ़ चुका है। विनिर्माण में यदि आप इनको भारतीय रूपए में बदलें तो सालाना औसत वेतन करीब पांच लाख रपए बैठता है।’’ फॉक्सकॉन जिसके 13 लाख कर्मचारी हैं, की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इसके एक संयंत्र में आपको 20,000 कर्मचारी मिलेंगे। इस तरह की कंपनियां चीन से बाहर निकल रही हैं।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख