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नई दिल्ली: सरकार ने बताया कि 2015-16 में 8,167 इरादतन चूककर्ता थे, जिन पर बैंकों का 76,685 करोड़ रुपये बकाया था और इस मामले में 1724 प्राथमिकियां दर्ज की गई। वहीं वर्ष 2014-15 में ऐसे चूककर्ताओं की संख्या 7031 थी और उन पर बैंकों का 59,656 करोड़ रुपये का बकाया था। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ऋणवसूली जैसी स्थिति से निपटने के लिए बैंकों को अधिक अधिकार प्रदान करने के प्रावधान वाले एक विधेयक पर संसद की एक संयुक्त समिति विचार कर रही है। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में कई पदों के खाली होने का जिक्र किया। जेटली ने उनकी बात से सहमति जताते हुए ऋण वसूली न्यायाधिकरणों को अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि संसद की संयुक्त समिति जिस संबंधित विधेयक पर विचार कर रही है, उसमें ऐसे न्यायाधिकरणों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। कांग्रेस के ही दिग्विजय सिंह ने ऐसे मामलों में दोषसिद्धि कम होने पर चिंता जतायी। वर्ष 2015-16 में इसकी दर 1.14 प्रतिशत थी, जबकि 2014-15 में यह दर 1.45 प्रतिशत थी। इस पर जेटली ने कहा कि दोषसिद्धि जांच एजेंसियों द्वारा मुहैया कराए जाने वाले सबूतों पर निर्भर करती है। इरादतन चूककर्ता वो लोग होते हैं, जिनके पास भुगतान की क्षमता है लेकिन वे ऐसा नहीं करते या जिन मकसदों से कर्ज लिया गया था, उसे पूरा नहीं किया गया और राशि का दुरुपयोग किया गया।

मुंबई: बैंकों की उन्हें सीबीआई, सीवीसी जैसी एजेंसियों की निगरानी से छूट दिये जाने की मांग के बीच रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि पूरी तरह आंख मूंदकर तो राहत नहीं दी जा सकती लेकिन यदि यह महसूस किया गया कि कर्ज देने का निर्णय उचित जांच पड़ताल के बाद किया गया है तो ऐसे मामले में जरूर संरक्षण दिया जाएगा। राजन ने यहां चुनींदा संवाददाताओं के समूह से बातचीत में कहा, मेरा मानना है कि बैंक अधिकारियों ने इस बारे में अपनी चिंता जताई है कि पूरी निष्ठा के साथ जो काम किया गया ऐसे मामलों में उन्हें कारवाई के लिये जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिये। उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि हर किसी को उस जरूरत को समझना चाहिये जहां उन्होंने उचित जांच पड़ताल, स्थिति के अनुसार दिमाग का सही इस्तेमाल करते हुये कदम उठाया है। उन्हें कदम उठाने की कुछ आजादी दी जानी चाहिये, क्योंकि इसके बिना हम बैंकों के खातों को साफ सुथरा नहीं कर पायेंगे। हम उन परियोजनाओं को फिर से पटरी पर नहीं ला पायेंगे जिनकी अर्थव्यवस्था को जरूरत है। बैंक बोर्ड ब्यूरो की हाल में हुई बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कर्ज के ऐसे फैसलों में जिनमें सामूहिक तौर पर निर्णय किया गया, केन्द्रीय जांच ब्यूरो, केन्द्रीय सतर्कता आयोग जैसी एजेंसियों की कड़ी नजर से निजात दिये जाने की मांग की।

मुंबई: शराब कारोबारी विजय माल्या की मुश्किलें दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। मुम्बई की एक अदालत ने शनिवार को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की ओर से दायर चेक बाउंस मामले में विजय माल्या के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया। 7 मई को मेजिस्ट्रेट ए एस लाऔलकर ने माल्या को आज के दिन अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था और आदेश का पालन नहीं करने पर गैर-जमानती वारंट जारी करने की चेतावनी दी थी। लेकिन माल्या अदालत में पेश नहीं हुए जिसके चलते उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया। अदालत एएआई द्वारा किंगफिशर एयरलाइन के खिलाफ दर्ज कुल 100 करोड़ रुपए के दो चेक बाउंस होने के मामले की सुनवाई कर रही थी। एएआई ने दो मामले दर्ज करवाए हैं जिसमें अदालत से माल्या को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने की जो स्थायी छूट मिली है उसे रद्द करने की मांग की गई है। बैंकों से लिए कर्ज के 9,000 करोड रुपए चुकाने में एयरलाइन के नाकाम रहने की खबर जब फैली तो तभी माल्या ने देश छोड़ दिया। एएआई ने माल्या के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की भी मांग की है।

नई दिल्ली: केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अमेरिका की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला को भारत को अपना एशियाई विनिर्माण केन्द्र बनाने का आग्रह करते हुए कंपनी को प्रमुख भारतीय बंदरगाहों के निकट जमीन उपलब्ध कराने की पेशकश की है ताकि कंपनी यहां से दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों को निर्यात कर सके। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, गडकरी ने अमेरिका के सेन फ्रांस्सिको में टेस्ला के कारखाने का दौरा किया। उन्होंने कंपनी को भारत में आटोमोबाइल क्षेत्र की कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम बनाने की भी पेशकश की ताकि देश में प्रदूषण मुक्त सड़क परिवहन को बढ़ावा दिया जा सके। विशेष तौर पर वाणिज्यिक और सार्वजनिक मोटर वाहन क्षेत्र में इसका फायदा होगा। विज्ञप्ति के अनुसार, ‘उन्होंने टेस्ला के वरिष्ठ अधिकारियों को भारत को अपना एशिया का विनिर्माण केन्द्र बनाने का आग्रह किया और साथ ही कंपनी को भारत के प्रमुख बंदरगाहों के निकट जमीन उपलब्ध कराने की पेशकश की ताकि वह आसानी से दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों को वाहनों का निर्यात कर सके।’ टेस्ला के वरिष्ठ कार्यकारियों ने भी यह स्वीकार किया है कि दुनिया के बाजारों तक पहुंच बनाने के लिये कंपनी का विनिर्माण केन्द्र अमेरिका से बाहर होना चाहिये। उन्होंने इस मामले में सहयोग की भारतीय पेशकश की सराहना की और कहा कि भविष्य में उचित समय पर वह इस बारे में विचार करेंगे।

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