नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज (गुरूवार) कहा कि गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी उर्वरक संयंत्रों के पुनरूद्धार से स्थानीय स्तर पर यूरिया उपलब्ध होने के साथ इन क्षेत्रों के आसपास रोजगार पैदा होंगे। मंत्रिमंडल ने करीब 18,000 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से इन तीन बंद पड़ी उर्वरक इकाइयों के पुनरूद्धार को मंजूरी दे दी। पूर्वी राज्यों की मांग को पूरा करने के प्रयासों तथा देश को यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों के तहत यह कदम उठाया गया है। सरकार ने तीनों कारखानों को 12.7-12.7 लाख टन सालाना क्षमता के साथ तीनों बंद पड़ी इकाइयों को चालू करने को मंजूरी दी है। जेटली ने ट्विटर पर लिखा है, ‘गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी उर्वरक इकाइयों के पुनरूद्धार से रोजगार के अवसर सृजित होंगे और स्थानीय स्तर पर यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।’ एक अन्य ट्विट में वित्त मंत्री ने कहा कि राजग सरकार का इन इकाइयों के पुनरूद्धार का निर्णय भारत का कायाकल्प करने की दिशा में किया गया प्रयास है। फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) के सिंदरी (झारखंड) तथा गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में दो बंद पड़े कारखाने हैं। वहीं हिंदुस्तान फर्टिलाइजर्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) की बरौनी (बिहार) में एक बंद कारखाना है। इन तीनों कारखानों का पुनरूद्धार एक विशेष उद्देशीय निकाय (एसपीवी) के जरिये किया जायेगा। ये निकाय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा बनाये जाएंगे।
यह काम एनटीपीसी, कोल इंडिया, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और एफसीआईएल अथवा एचएफसीएल को नामांकन आधार पर दिया जायेगा। सरकार ने पिछले साल इन तीन इकाइयों का पुनरूद्धार बोली के जरिये करने को मंजूरी दी थी। लेकिन यह बोली प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी।