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वाशिंगटन: मानवाधिकारों को लेकर सवाल उठाने पर भारत ने अमेरिका को करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि अमेरिका समेत अन्य देशों के मानवाधिकारों के हालात पर भारत भी नजर रखता है। इसलिए भारत भी इस देश में मानवाधिकार के मुद्दे उठाता है, जब वे खासकर भारतीय समुदाय से संबंधित होते हैं और वास्तव में कल (मंगलवार) हमारे पास एक मामला (न्यूयार्क में दो सिखों पर हमले का) था।

ब्लिंकन ने उठाया था भारत में मानवाधिकार का मुद्दा

दरअसल, टू प्लस टू वार्ता के बाद सोमवार रात संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका भारत में हो रहे कुछ हालिया चिंताजनक घटनाक्रम पर नजर बनाए है जिनमें कुछ सरकारी, पुलिस और जेल अधिकारियों की मानवाधिकार उल्लंघन की बढ़ती हुई घटनाएं शामिल हैं।

अमेरिका यात्रा की समाप्ति पर पत्रकारों से बातचीत में जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि टू प्लस टू बैठक में दोनों देशों के बीच मानवाधिकार के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई।

मास्‍को/वाशिंगटन: मास्‍को की तरफ से अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन के उस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई गई है जिसमें उन्‍होंने रूस पर यूक्रेन में नरसंहार करने का आरोप लगाया है। रूस की तरफ से कहा गया है कि राष्‍ट्रपति बाइडन का ये बयान बेबुनियाद, इसको किसी भी सूरत से स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है। क्रेमलिन ने अमेरिका द्वारा कहे यूक्रेन में नरसंहार शब्‍द पर भी आपत्ति जताई है। क्रेमलिन का कहना है कि वो ऐसा नहीं मानता है। गौरतलब है कि राष्‍ट्रपति बाइडन ने मंगलवार को कहा था कि उनकी निगाह में रूस ने यूक्रेन में जो कुछ कहा है वो नरसंहार है। क्रेमलिन प्रवक्‍ता दमित्री पेस्‍काव ने पत्रकारों द्वारा किए गए सवालों के जवाब में ये बयान दिया है। उन्‍होंने बाइडन के आरोपों पर ये भी कहा कि ये सब कुछ वो देश कह रहा है तो इस तरह अपराधों को हाल ही में अंजाम दे चुका है।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति बाइडेन ने मंगलवार को रूस के राष्‍ट्रपति‍ व्लादिमीर पुतिन की सेना पर यूक्रेन में नरसंहार करने का आरोप लगाया था। उन्‍होंने कहा था कि यूक्रेन के अहम पोर्ट सिटी मारियोपोल पर कब्‍जे के लिए रूस अपने अभियान को तेज करने में लगा है।

कोलंबो: श्रीलंका में जारी आर्थिक चुनौतियों के बीच सियासी संकट भी गहराने के आसार बन रहे हैं। विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा ने बुधवार को राष्‍ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ महाभियोग प्रस्‍ताव और सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर दस्‍तखत कर दिया। डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्ष के नेता के कार्यालय में यह हस्ताक्षर किए गए। इस घटनाक्रम से श्रीलंका में सियासी खींचतान बढ़ने के आसार हैं। इन प्रस्‍तावों को जल्द ही संसद में रखा जाएगा। ये हैं- अविश्वास प्रस्ताव, राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव व 20 संशोधनों को निरस्त करने का प्रस्ताव जिन्होंने वर्ष 2020 में उन्हें राष्ट्रपति के रूप में पूर्ण अधिकार प्रदान किए हैं। वहीं मीडिया रिर्पोटस के मुताबिक, श्रीलंका के अभूतपूर्व आर्थिक संकट के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों को समाप्त कराने के लिए नववर्ष के अवसर पर प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने खास पहल की है। उन्होंने बुधवार को प्रदर्शनकारी युवाओं को वार्ता का प्रस्ताव दिया है।

राष्ट्रपति सचिवालय के करीब युवाओं के धरना-प्रदर्शन के पांच दिन हो चुके हैं। प्रदर्शनकारी धरना स्थल पर दिनरात जुटे हुए हैं और देश की कथित भ्रष्ट राजनीतिक संस्कृति में आमूलचूल परिवर्तन की मांग कर रहे हैं।

कीव: यूक्रेन में रूसी की ओर से हमले जारी है। इस बीच यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोदि‍मीर जेलेंस्‍की ने बुधवार को एस्टोनिया की संसद को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्‍होंने रूस पर नागरिकों के खिलाफ आतंकवादियों वाली रणनीति अपनाने का आरोप लगाया। समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक उन्‍होंने कहा कि रूस यूक्रेन पर फास्फोरस बमों का इस्‍तेमाल कर रहा है।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, रूसी हमले के चलते यूक्रेन में अब तक कम से कम 191 बच्‍चे मारे गए हैं। यूक्रेन के अखबार उक्रेइंस्का प्रावदा ने जुवेनाइल प्रोसिक्‍यूटर्स के हवाले से बताया है कि इन हमलों में 350 ज्‍यादा बच्‍चे घायल भी हुए हैं। हालांकि यह आंकड़ा अंतिम नहीं है मृत बच्‍चों की संख्‍या में और बढ़ोतरी भी संभव है। इस लड़ाई से सबसे ज्‍यादा 113 बच्‍चे डोनेस्‍क में प्रभावित हुए हैं।

दूसरी ओर रूस का दावा है कि मारियोपोल में एक हजार से ज्‍यादा यूक्रेनी मरीन्‍स ने सरेंडर किया है। हालांकि अभी तक रूस ने मारियोपोल पर पूरी तरह कब्‍जा नहीं कर पाया है।

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