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हेमंत सोरेन ने पेश किया सरकार बनाने का दावा, 28 को लेंगे शपथ

काहिरा: मिस्र में सत्ता से बेदखल किये गए इस्लामवादी राष्ट्रपति मोहम्मद मोरसी को सरकारी खुफिया जानकारी कतर और दोहा स्थित एक टीवी नेटवर्क को देने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई जबकि छह सह प्रतिपादियों को मौत की सजा सुनाई गई। काहिरा आपराधिक अदालत ने मामले में मुस्लिम ब्रदरहुड के छह सदस्यों की मृत्युदंड की सजा बरकरार रखी और दो अन्य को उम्रकैद सुनाई। मिस्र में आजीवन कारावास की सजा 25 साल है। उसी मामले में मोरसी को राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी दस्तावेज चुराने के जुर्म में 15 साल की अतिरिक्त सजा दी गई जिससे उनकी सजा बढ़कर 40 साल हो गई। छह सह प्रतिपादियों में जेल में बंद डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता अहमद अब्दो अली अफीफी, रस्द न्यूज नेटवर्क (आरएनएन) के संवाददाता अस्मा अल खतीब (अनुपस्थिति में सजा) हैं जिन पर मोरसी के मुस्लिम ब्रदरहुड से से जुड़े का संदेह है। दो अन्य में अलजजीरा के कर्मचारी न्यूज प्रोड्यूसर अल उमर मोहम्मद (अनुपस्थिति में सजा) और समाचार संपादक इब्राहिम मोहम्मद हिलाल (अनुपस्थिति में सजा) हैं। खाड़ी का संपन्न देश कतर मोरसी के 2012 से लेकर जुलाई 2013 तक के शासन काल में उनका प्रमुख समर्थक था। सेना ने मोरसी को पद से हटा दिया और हिरासत में ले लिया। यह फैसला अंतिम नहीं है और इसके खिलाफ अपील की जा सकती है।

वाशिंगटन: अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के स्पीकर पॉल रेयान ने कहा है कि राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करने या न करने का फैसला करते समय रिपब्लिकन सांसदों को अपनी आत्मा की बात सुननी चाहिए। विसकांसिन के रिपब्लिकन ने एनबीसी के ‘मीट द प्रेस’ से कहा कि ‘अंतत: मैं किसी को भी उनकी आत्मा की कही बात के विपरीत जाने को कह सकता हूं..निश्चित तौर पर मैं ऐसा नहीं करूंगा।’ रेयान ने ट्रंप को बेमन से समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि वह समझते हैं कि पार्टी के संभावित उम्मीदवार को समर्थन देने के मामले में वह एक ‘बेहद अजीब स्थिति’ में हैं..वह अपने साथी सांसदों से ऐसा करने के लिए नहीं कह रहे। लेकिन उन्होंने कहा कि ट्रंप ‘एक विचित्र उम्मीदवार’ हैं। रेयान उच्चतम निर्वाचित रिपब्लिकन अधिकारी हैं और अगले माह होने वाले रिपब्लिकन कन्वेंशन के आधिकारिक अध्यक्ष भी हैं। मई में जब उन्होंने ट्रंप से समर्थन वापस ले लिया था, तब राजनीतिक दुनिया में उथलपुथल शुरू हो गई थी। इसके बाद इस माह की शुरूआत में उन्होंने बेमन से ट्रंप को समर्थन दे दिया।

वाशिंगटन: अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद में कटौती से जुड़े दो विधायी संशोधन अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में गिर गए क्योंकि अधिकतर सांसदों ने कहा कि परमाणु हथियारों से संपन्न एक देश के साथ संबंध बनाए रखना जरूरी है, फिर भले ही वह आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में ज्यादा कुछ न कर रहा हो। सदन में गिरने वाला पहला संशोधन कांग्रेस सदस्य टेड पो द्वारा लाया गया था। इसमें उन्होंने गठबंधन सहयोग कोष :सीएसएफ: में से पाकिस्तान को दी जाने वाली 90 करोड़ डॉलर की मदद को कम करके 70 करोड़ डॉलर करने की मांग की थी। यह संशोधन सदन के पटल पर 191-230 मतों के अंतर से गिर गया। दूसरा संशोधन कांग्रेस सदस्य डाना रोहराबचर का था, जिसमें पाकिस्तान को मदद उपलब्ध करवाने में कोष का इस्तेमाल न करने की मांग की गई थी। यह संशोधन 84-236 मतो के अंतर से गिरा।पाकिस्तान द्वारा ‘युद्ध में गलत ओर खड़ा’ होने की दलील देते हुए पो ने कहा कि यदि उनका बस चलता तो वह पाकिस्तान को दिए जाने वाला सारा धन रोक देते। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘अध्यक्ष महोदय, इसके पीछे एक वजह है। पाकिस्तानियों ने ओसामा बिन लादेन को छिपाया और हमें पाकिस्तान के अंदर जाकर उसे निकालना पड़ा।

वाशिंगटन: बर्नी सैंडर्स ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को नवंबर में होने वाले चुनाव में पराजित करने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की संभावित उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के साथ काम करने का संकल्प लिया, लेकिन उन्होंने व्हाइट हाउस की दौड़ से अपना नाम वापस लेने की घोषणा नहीं की। वरमोंट के 74 वर्षीय सीनेट सैंडर्स ने कहा कि वह उन मूल्यों और नीतियों की खातिर लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिन्हें उन्होंने अपने अभियान के दौरान अपनाया है। उन्होंने अपने समर्थकों को वीडियो के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा ‘इस देश के लिए हमारा जो दृष्टिकोण है, वह कोई हाशिए का विचार नहीं है। यह अतिवादी विचार नहीं है। यह मुख्यधारा का विचार है। यह वह है जिसमें लाखों अमेरिकियों का विश्वास है और जिसे वे होते हुए देखना चाहते हैं।’ सैंडर्स ने अपने अभियान में श्रम, नागरिक अधिकारों, पर्यावरणीय, महिला एवं समलैंगिक अधिकारों समेत उदार प्राथमिकताओं को समर्थन दिए जाने की बात को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक क्रांति का मतलब यही है और इसलिए राजनीतिक क्रांति भविष्य में भी चलती रहनी चाहिए।

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