काहिरा: मिस्र में सत्ता से बेदखल किये गए इस्लामवादी राष्ट्रपति मोहम्मद मोरसी को सरकारी खुफिया जानकारी कतर और दोहा स्थित एक टीवी नेटवर्क को देने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई जबकि छह सह प्रतिपादियों को मौत की सजा सुनाई गई। काहिरा आपराधिक अदालत ने मामले में मुस्लिम ब्रदरहुड के छह सदस्यों की मृत्युदंड की सजा बरकरार रखी और दो अन्य को उम्रकैद सुनाई। मिस्र में आजीवन कारावास की सजा 25 साल है। उसी मामले में मोरसी को राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी दस्तावेज चुराने के जुर्म में 15 साल की अतिरिक्त सजा दी गई जिससे उनकी सजा बढ़कर 40 साल हो गई। छह सह प्रतिपादियों में जेल में बंद डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता अहमद अब्दो अली अफीफी, रस्द न्यूज नेटवर्क (आरएनएन) के संवाददाता अस्मा अल खतीब (अनुपस्थिति में सजा) हैं जिन पर मोरसी के मुस्लिम ब्रदरहुड से से जुड़े का संदेह है। दो अन्य में अलजजीरा के कर्मचारी न्यूज प्रोड्यूसर अल उमर मोहम्मद (अनुपस्थिति में सजा) और समाचार संपादक इब्राहिम मोहम्मद हिलाल (अनुपस्थिति में सजा) हैं। खाड़ी का संपन्न देश कतर मोरसी के 2012 से लेकर जुलाई 2013 तक के शासन काल में उनका प्रमुख समर्थक था। सेना ने मोरसी को पद से हटा दिया और हिरासत में ले लिया। यह फैसला अंतिम नहीं है और इसके खिलाफ अपील की जा सकती है।
पिछले महीने अदालत ने आदेश दिया था कि मोरसी को छोड़कर छह प्रतिपादियों के मामले से जुड़ा दस्तावेज बड़े इमाम को भेजा जाएगा। मिस्र के कानून के तहत वह मृत्युदंड के सभी मामलों की समीक्षा कर सकते हैं। हालांकि उनका फैसला बाध्यकारी नहीं है। प्रतिपादियों पर गोपनीय दस्तावेज कतर को लीक करने और उन्हें अलजजीरा चैनल को बेचने का आरोप है। गोपनीय दस्तावेज में कथित तौर पर सामान्य और सैन्य खुफिया, सैन्य बलों, आयुध भंडार और देश की गोपनीय नीति पर सूचनाएं थी। अन्य आरोपों में प्रतिबंधित ब्रदरहुड में शामिल होना है जिसका लक्ष्य ताकत के जरिए मिस्र में शासन में बदलाव लाना और सेना, पुलिस चौकियों, सार्वजनिक संपत्तियों पर हमला करना है।