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संयुक्त राष्ट्र: भारत ने वर्ष 2016 में पेरिस जलवायु समझौते को प्रभावी करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह समझौता संरा महासचिव बान की मून के कार्यकाल की एक अहम उपलब्धि है। अरब जगत में विवाद, शरणार्थी संकट और आतंकवाद का खतरा विश्व निकाय के समक्ष चुनौती बना रहा जिसकी कमान अब एंटोनियो गुटेरेस संभालने जा रहे हैं। बान का कार्यकाल 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है। यह वर्ष इतिहास में अह्म स्थान रखेगा क्योंकि इसी साल, अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में बान ने राष्ट्रों से पेरिस समझौते का अनुमोदन करने का आह्वान किया जिसके चलते लंबे समय से लंबित पेरिस जलवायु समझौता लागू हो पाया। इस समझौते का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निबटना और वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखने की दिशा में प्रयास करना है। भारत ने इस समझौते का अनुमोदन दो अक्टूबर को, महात्मा गांधी की जयंती पर किया। भारत के इस कदम ने समझौते के प्रभावी होने की राह खोल दी जो चार नवंबर को प्रभावी हुआ। अभूतपूर्व चुनावी चक्र के बाद पुर्तगाल के प्रधानमंत्री और वर्ष 2005 से 2015 के बीच संरा में शरणार्थी मामलों के उच्चायुक्त रहे गुटेरेस को शीर्ष पद के लिए चुना गया। गुटेरेस की नियुक्ति संरा महासभा ने की जिसके साथ ही एक ऐतिहासिक प्रक्रिया का अंत हो गया। नए संरा महासचिव का चयन परंपरागत तौर पर कुछ चुनिंदा विश्व शक्तियों द्वारा बंद दरवाजे के पीछे किया जाता था लेकिन इतिहास में पहली बार इसमें जन चर्चाओं को शामिल किया गया जिसमें हर प्रतिद्वंद्वी शीर्ष पद के लिए एक दूसरे से स्पर्धा कर रहा था।

इस्लामाबाद: बिजली के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को आज बड़ी सफलता के तहत प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पंजाब प्रांत में चीन की मदद वाले 340 मेगावाट क्षमता के परमाणु उर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया और इसे बिजली कटौती की समस्या को समाप्त करने के सरकार के प्रयासों में ‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’ करार दिया। चश्मा-3 परमाणु संयंत्र राजधानी इस्लामाबाद से करीब 250 किलोमीटर दूर मियांवाली जिले के चश्मा में है जहां एक और संयंत्र चश्मा-4 बनाया जा रहा है। रेडियो पाकिस्तान की खबर के अनुसार शरीफ ने चश्मा-3 के पूरा होने को देश से बिजली कटौती की समस्या को समाप्त करने की यात्रा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि परियोजना पाकिस्तान और चीन के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करीबी सहयोग को झलकाती है। शरीफ के अनुसार, ‘यह सहयोग क्षेत्र में विकास के नये युग की भी शुरुआत है।’ उन्होंने विश्वास जताया कि चश्मा-4 परमाणु उर्जा संयंत्र भी अगले साल के मध्य में इसकी समयसीमा से पहले परिचालन में आ जाएगा। चश्म-दो और तीन देश के सबसे अधिक क्षमतावान संयंत्र हैं जो देश के ग्रिड में 600 मेगावाट से अधिक बिजली देते हैं। पाकिस्तान के पहले परमाणु संयंत्र की आपूर्ति 1972 में कनाडा ने की थी। शरीफ ने आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में प्रयासों के लिए पाकिस्तान परमाणु उर्जा आयोग (पीएईसी) की सराहना की और कहा कि उनकी सरकार देश में बिजली की कमी से निपटने में मदद के लिए आयोग को हरसंभव मदद देगी।

इस्तांबुल: सीरिया के लिए तुर्की और रूस एक संघर्ष विराम योजना पर राजी हुए हैं, जो आज रात लागू हो जाने की उम्मीद है। सरकारी अंदोलू समाचार एजेंसी ने कहा है कि इस योजना का लक्ष्य अलेप्पो शहर में संघर्ष विराम का विस्तार करना है जिसकी मध्यस्थता तुर्की और रूस ने इस महीने की शुरुआत में की थी ताकि समूचे देश से नागरिकों की निकासी की इजाजत मिल सके। समाचार एजेंसी ने कहा है कि संघर्ष विराम की पिछली योजनाओं की तरह इससे आतंकी संगठनों को बाहर रखा गया है। पिछली योजनाओं की मध्यस्थता अमेरिका और रूस ने की थी। एजेंसी के मुताबिक तुर्की और रूस योजना को आधी रात से लागू कराने के लिए काम करेंगे।

पर्ल हार्बर: अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जापान के नेता शिंजो अबे की आज मेजबानी की जो पर्ल हार्बर की यात्रा पर आए हैं और उन्होंने ‘हमसे अलग लोगों को शैतान नहीं बनाने’ की अपील की। ओबामा ने दोनों देशों के बीच सहयोग की प्रशंसा की और कहा कि ये संबंध ‘पहले इतने मजबूत कभी नहीं रहे।’ ओबामा का कार्यकाल अगले महीने समाप्त होगा। ओबामा के जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से कहा कि राष्ट्रों के चरित्र की परीक्षा युद्ध में होती है लेकिन इसका निर्धारण शांति के समय होता है। ओबामा ने कहा कि जब घृणा अपने चरम पर होती है, जब हम कबीलाई खींचतान के दौर में वापस पहुंच जाते है, हमें तब भी खुद में सिमटने की इच्छा से बचना चाहिए। हमें उन लोगों को शैतान बनाने की इच्छा से बचना चाहिए जो हमसे जुदा हैं। ओबामा ने कहा कि मैं मित्रता की भावना के तहत आपका यहां स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि हम दुनिया को संदेश देंगे कि युद्ध के मुकाबले शांति में जीतने के लिए अधिक होता है और सुलह से प्रतिकार के बजाए अधिक प्रतिफल मिलता है। आबे ने जापानी लड़ाकों द्वारा मारे गए 2400 से अधिक अमेरिकियों के परिवारों के प्रति ‘सच्चे दिल से संवेदनाएं प्रकट’ कीं। उन्होंने जिस कुख्यात हमले के बाद द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने प्रवेश किया था, उसके 75 साल पूरे होने के अवसर पर कहा कि हमें युद्ध की भयावहता को दोहराना नहीं चाहिए। आबे ने बराक ओबामा के निकट खड़े होकर सुलह की शक्ति की प्रशंसा करते की और ‘जापान के प्रति सहिष्णुता अपनाने’ के लिए धन्यवाद किया।

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