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तेहरान: ईरान के नरमपंथियों ने ‘एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट’ के लिए पिछले हफ्ते हुए चुनाव में ज्यादातर सीटें जीत कर देश के कट्टरपंथियों को एक और झटका दिया है। धर्मगुरुओं की इस सभा को देश के सर्वोच्च नेता को चुनने का अधिकार प्राप्त है। शीर्ष नरमपंथियों में शामिल राष्ट्रपति हसन रूहानी और पूर्व राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफसनजानी, दोनों ने अपने 50 अन्य सहयोगियों के साथ एसेंबली में जीत दर्ज की। 88 सदस्यीय इस सभा के लिए मतदान देश की संसद के चुनाव के वक्त ही हुआ था। उस चुनाव का आखिरी नतीजा आज बाद में आने की उम्मीद है। ईरान के गृह मंत्रालय के मुताबिक नरमपंथियों ने इस सभा में 59 सीटें जीती हैं। चूंकि नरमपंथियों के लिए यह एक ऐतिहासिक जीत है इसलिए अयातुल्लाह अहमद जन्नती सहित कई प्रमुख कट्टरपंथी फिर से चुने गए हैं। मंत्रालय ने धर्मगुरुओं की सभा के आखिरी नतीजे दिए हैं। जन्नती गार्डियन काउंसिल के भी कट्टरपंथी नेता हैं।

यह एक गैर निर्वाचित संवैधानिक निगरानी संस्था है। वह लोकतांत्रिक सुधारों का विरोध करने और सुधारवादी उम्मीदवारों को संसदीय मतदान से अयोग्य करार देने में सबसे प्रभावकारी व्यक्ति रहे हैं। जन्नती और उनके सहयोगियों ने गार्डियन काउंसिल में इस्लामिक रिपब्लिक के संस्थापक अयातुल्लाह रूहोल्ला खोमेनी के पोते हसन खोमेनी को शुक्रवार के चुनाव से अयोग्य करा दिया। सबसे आश्चर्यजनक यह है कि कुछ प्रमुख कट्टरपंथी धर्मगुरु एसेंबली में सीटें गंवा बैठे जिनमें मौजूदा एक्सपर्ट एसेंबली प्रमुख अयातुल्लाह मोहम्मद यजदी भी शामिल हैं। वह पुनर्निर्वाचित नहीं हुए। पूर्व कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के गुरु मोहम्मद तकी मिसबाह यजदी भी सभा में अपनी सीट हार गए। एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट उसी तरह का काम करती है जैसा कि वेटिकन कॉलेज ऑफ कार्डिनल किया करता है। यह ईरान के मौजूदा सुप्रीम नेता अयातुल्लाह अली खामेनी का उत्तराधिकारी भी चुनेगी। यह खामेनी के शासन को सीधे तौर पर चुनौती भी दे सकती है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ है। एसेंबली का चुनाव हर आठ साल बाद होता है। खामेनी (76) की 2014 में प्रोस्टेट सर्जरी हुई थी। उनके स्वास्थ्य के बारे में फिर से अटकलें लगाई जा रही हैं। पिछले साल विश्व के शक्तिशाली देशों के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु करार के बाद पहली बार संसद और एसेंबली के लिए शुक्रवार के दोहरे चुनाव हुए हैं। नरमपंथियों के कब्जे में पहले करीब 20 सीटें थी और उनकी जीत को इस शक्तिशाली सभा में उनके प्रभाव के विस्तार के रूप में देखा जा रहा।

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