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लखनऊ: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सोच में गंभीर टकराव होने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि भाजपा अपने राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यन स्वामी के दावों का सामना करने के लिये खुद को तैयार नहीं कर पा रही है। खुर्शीद ने टेलीविजन कार्यक्रम में कहा, 'मैं मानता हूं कि जो भाजपा की सरकार का ढांचा है, उसका जो आधार है, उसमें बहुत सारी दरारें हैं। भाजपा के बहुत से नेता ऐसे हैं जिनके बयानों को प्रधानमंत्री जाहिर रूप से स्वीकार करने को तैयार नहीं रहते। अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में भी उनकी सोच में बहुत गम्भीर टकराव हैं।' उन्होंने कहा, 'सुब्रमण्यन स्वामी जो कह रहे हैं, उसके कुछ तथ्य होंगे, कुछ बुनियाद होगी। उनका सामना करने के लिये भाजपा स्पष्ट रूप से खुद को तैयार नहीं कर पा रही है। कहीं ना कहीं कोई कमजोरी जरूर है। अगर नहीं है तो वह खुलकर बताए।' स्वामी के आरोपों की जांच की कांग्रेस की मांग पर खुर्शीद ने कहा, 'स्वामी के आरोपों की जांच इसलिये जरूरी है क्योंकि सरकार उसका जवाब नहीं दे पा रही है। कम से कम उनकी बात का स्पष्ट जवाब दे दें या फिर जांच करा दें।' पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में अभी कांग्रेस को बहुत काम करना है लेकिन वह हरियाणा, राजस्थान या गुजरात में पूरी तरह तैयार है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी ने मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय रद्द कर दिया है। सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने बताया कि मुख्तार की पार्टी का सपा में विलय नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बलराम यादव को फिर से मंत्री बनाया जाएगा। मुख़्तार अंसारी को समाजवादी पार्टी में जोड़ने वालों में बलराम यादव भी शामिल थे और इसी से नाराज़ होकर अखिलेश यादव ने उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया था। लखनऊ में समाजवादी पार्टी के संसदीय बोर्ड की अहम बैठक हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया। गौरतलब है कि सपा के प्रांतीय प्रभारी और राज्य के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने गत मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कौमी एकता दल के सपा में विलय की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस कदम से खासे नाखुश थे और उन्होंने इस घटनाक्रम के सूत्रधार समझे जाने वाले माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को उसी दिन मंत्री पद से हटा दिया था। हालांकि शिवपाल का कहना था कि उन्होंने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की इजाजत से ही कौमी एकता दल के सपा में विलय की घोषणा की थी। शिवपाल अपने पिछले कुछ फ़ैसलों के चलते लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। जहां एक ओर उन्होने अमर सिंह और बेनी प्रसाद वर्मा जैसे पुराने नेताओं को फिर से पार्टी में जोड़ा वहीं मुख़्तार अंसारी के क़ौमी एकता दल का विलय कराने में भी उनकी अहम भूमिका रही जबकि अखिलेश यादव नहीं चाहते थे कि अंसारी को समाजवादी पार्टी में शामिल किया जाए।

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी के विधायक दल का नेता सर्वसम्मति से गया चरण दिनकर को चुना गया है। दिनकर बांदा से विधायक और पुराने मिशनरी नेता हैं। इस बारे में बसपा ने विधानसभा अध्‍यक्ष माता प्रसाद पांडेय को पत्र भेज कर दिनकर को नेता विरोधी दल चुनने के बावत अवगत करा दिया है। शनिवार को बसपा सुप्रीमो मायावती की मौजूदगी में पार्टी के सभी विधायकों और प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसमें गया चरण दिनकर को बसपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बारे में सहमति बनी। दिनकर को नेता चुने जाने के बाद विधानसभा अध्‍यक्ष को पत्र भेजकर इस बारे में जानकारी दी गई। बाद में बसपा विधान मंडल के नए नेता गया चरण दिनकर दोपहर साढ़े तीन सभी विधायकों के साथ विधानसभा अध्यक्ष से मिलने के लिए पहुंचे। इससे पहले उन्हें नेता चुने जाने के बाद सभी वरिष्‍ठ पदाधिकारियों ने बधाई दी।

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य पर आज बसपा सुप्रीमो मायावती जमकर बरसीं। उन्होंने मौर्य को स्वार्थी और गद्दार तक कह दिया। मायावती ने कहा, स्वामी प्रसाद मौर्य गद्दार हैं, उनके पार्टी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पार्टी छोड़कर उन्होंने बहुत बड़ा उपकार किया है। तीखे लहजे में स्वामी प्रसाद पर हमला बोलते हुए बहनजी ने कहा, मैं तो उन्हें 2012 में ही निकाल देती जब उन्होंने अपने बेटे और बेटी के लिए टिकट की मांग रखी थी। तभी मैंने उन्हें समझा दिया था कि किसी भी पार्टी के नेता, सदस्य विधायक के सगे संबंधियों को टिकट नहीं दिया जाएगा। मायावती ने कहा, मौर्य ने व्यक्तिगत स्वार्थ में पार्टी छोड़ा है, उनका दलितों, मौर्य और कुशवाहा समाज व अंबेडकर के सिद्धांतों से कोई लेना देना नहीं है। उनके इस कदम से मौर्य समाज नाराज है और मौर्य समाज उनके साथ नहीं है। उन्होंने कहा, वे स्वार्थी और गद्दार हैं। बीएसपी छोड़ने वाले बरबाद हो गए। उन्होंने मौर्य पर आरोप लगाया कि वह सदन में भी अपनी बात नहीं रख रहे थे। इन्होंने पार्टी पर बहुत बड़ा उपकार किया है। उनका अपने समाज, पार्टी, अंबेडकर जी से कोई लेना देना नहीं है।

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