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लखनऊ: अखिलेश यादव मंत्रिमंडल का सोमवार को सातवां विस्तार हुआ। इस विस्तार में बर्खास्त कैबिनेट मंत्री बलराम यादव और नारद राय की वापसी हुई है। जबकि जियाउद्दीन रिजवी, रविदास मेहरोत्रा और शारदा प्रताप शुक्ला के रूप में मंत्रिमंडल में तीन नए चेहरे शामिल किए गए हैं। राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में बलराम यादव और नारद राय को बतौर कैबिनेट मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जबकि नए चेहरे जियाउद्दीन रिजवी तीसरे कैबिनेट मंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ नहीं ले सके। उनका नाम पुकारा गया लेकिन बताया गया कि वे बाहर हैं, बाद में शपथ लेंगे। राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में लखनऊ शहर के दो विधायक रविदास मेहरोत्रा और शारदा प्रताप शुक्ला ने शपथ ग्रहण किया। शपथ ग्रहण समारोह की खास बात यह रही कि इसमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता प्रो. राम गोपाल यादव और राज्यसभा सांसद अमर सिंह मौजूद रहे, लेकिन वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव और आजम खां कहीं नजर नहीं आए। शिवपाल और आजम खां की गैरहाजिरी को नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। मंत्रिमंडल में संविधान के हिसाब से चार ही पद खाली थे और चार ही मंत्री शपथ लेने के लिए सूची में कल तक फाइनल किए गए थे। इसके बावजूद हाईकमान स्तर पर सूची पर मंथन जारी था। इसीलिए सूची रविवार की रात तक राजभवन नहीं भेजी जा सकी थी।

लखनऊ: लखनऊ में कथित रूप से अवैध वसूली के पैसों के बंटवारे को लेकर पुलिस के कुछ जवान आपस में ही भिड़ गए। ये वाकया शहर के इटौंजा थाना क्षेत्र का है। जानकारी के मुताबिक सड़क किनारे लगने वाली दुकानों से वसूले गए पैसों के बंटवारे को लेकर पुलिसवालों में बहस झगड़े और मारपिटाई में बदल गई। काफ़ी देर तक पुलिसवालों के बीच ये मारपीट सरेआम लोगों के सामने चलती रही। अभी तक आपने सुना या देखा होगा कि पैसों के बंटवारे लेकर लुटेरे ने अपने ही साथी को मार डाला। लेकिन इस मामले में पुलिस वाले ही आपस में भिड़ गए। मामला लखनऊ के थाना इटौंजा के अंतर्गत पुल के नीचे देखने को मिला जब कुछ खाकी वर्दी धारी आपस मे लड़ने लगे। लड़ना तो छोड़ि‍ए, वह आपस में बीच सड़क पर ही गुत्‍थम-गुत्‍था हो गए। यह देख कुछ वर्दीधारियों ने उन्हें छुड़ाने की कोशिश की लेकिन वह लड़ते रहे और तमाशा देखने के लिए राहगीरों की भीड़ इकट्ठा हो गई। लोग कुछ कहते इससे पहले मामला समझ में आ गया। लड़ाई केवल सड़क के किनारे लगने वाली दुकानों से वसूल किए जाने रुपयों को लेकर थी। क्योंकि लड़ाई करने वाले सिपाही को बंटवारे में कम पैसे मिले थे।

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शनिवार को कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के पाठ की तरह देश में लगे आपातकाल की घटनाओं को भी पाठ्यपुस्तकों में अध्याय के तौर पर शामिल किया जाना चाहिये। अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री नकवी ने कहा कि देश की करीब 75 प्रतिशत आबादी यह नहीं जानती है कि देश में आपातकाल क्यों और किन हालात में लागू किया गया था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आजादी के चाहने वालों पर हुई ज्यादती की कथाओं की तरह आपातकाल में हुए जुल्मों के बारे में भी लोगों को बताने की जरूरत है। आपातकाल की 41वीं बरसी पर भाजपा की प्रान्तीय इकाई द्वारा ‘लोकतंत्र सेनानियों’ के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आपातकाल की घटनाओं को भी पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिये। वह सम्बन्धित मंत्रालय से इस सिलसिले में बात करेंगे। नकवी ने कहा कि लोगों को मालूम होना चाहिये कि हमारी जम्हूरियत की जड़ें कितनी गहरी हैं। आपातकाल के दौरान लोगों ने दिखाया कि वे तानाशाही और अहंकार को बर्दाश्त नहीं कर सकते, मगर उसके बाद भी कांग्रेस ने सबक नहीं सीखा और अपनी सामंती मानसिकता को बरकरार रखा। उन्होंने कहा, 'जब हम कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं, तो उसका मतलब होता है कि हम देश को सामंती सोच, अहंकार और तानाशाही से मुक्त कराना चाहते हैं।' नकवी ने कहा कि भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा किये जा रहे विकास कार्यों को हजम नहीं कर पा रही है, इसलिये तरह-तरह की बाधाएं खड़ी की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में जब मोदी दूसरे देशों के साथ भारत के विकास के बारे में विचार-विमर्श कर रहे हैं, ‘कांग्रेस के युवराज’ ऐसे विश्वविद्यालय जाकर हिमायत करते हैं, जहां भारत-विरोधी नारे उछाले जा रहे थे।

लखनऊ: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार की शाम पांच कालीदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर इफ्तार पार्टी का भव्य आयोजन किया। इस अवसर पर रोजेदारों के अलावा आम जनता की भी जबर्दस्त हिस्सेदारी रही। खुद मुख्यमंत्री ने मंत्रिमण्डल के सहयोगियों और सांसदों के साथ रोजेदारों का स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ राज्यसभा के लिए हाल ही में चुने गए सपा सांसद अमर सिंह टोपी पहने हुए रोजेदारों का स्वागत कर रहे थे। दूसरी ओर आसपास मौजूद पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां की गैरमौजूदगी चर्चा का सबब भी बनी रही। आजम खां शनिवार को सपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में भी नहीं आए थे। मुख्यमंत्री के साथ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव, अहमद हसन, पासरनाथ यादव, बलवंत सिंह रामूवालिया, राजेन्द्र चौधरी, अवधेश प्रसाद, सैय्यदा शादाब फातिमा और राज्यसभा सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा ने काफी देर तक मंच पर खड़े रहकर रोजेदारों का स्वागत किया। इस अवसर पर अजान के बाद इफ्तार हुआ और फिर टीले वाली मस्जिद के इमाम मौलाना शाह फजलुर्रहमान वायजी नदवी की इमामत में नमाज पढ़ी गई, जिसमें प्रदेश की तरक्की के लिए दुआ भी की गई।

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