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लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अब किसी राज्य को यूपी मैनपावर चाहिए, तो उसे हमारी अनुमति लेनी होगी। कोई राज्य सरकार हमारे लोगों को बिना अनुमति के नहीं ले जा सकती है। जिस तरह हमारे कामगारों की दुर्गति हुई है, जिस तरह का इनके साथ व्यवहार हुआ है, उसके मद्देनजर हम उनका रजिस्ट्रेशन कर उन्हें बीमा कवर देंगे। उनकी सामाजिक सुरक्षा देंगे और रोजगार परक प्रशिक्षण देंगे ताकि उसे वहां जाकर इधर-उधर भटकना न पड़े।

जर्मनी की कंपनी चीन से हटकर आगरा में बनाएगी जूते

मुख्यमंत्री ने रविवार को कोरोना संक्रमण काल : सजगता से सफलता विषय पर वेबनियर के जरिए यह बात कही। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कोरोना संकट को जून में काफी हद तक नियंत्रित कर लेंगे। विदेशी निवेश की चर्चा करते हुए सीएम ने कहा कि जर्मनी की लेदर कंपनी ने चीन से आकर आगरा में निवेश की इच्छा दिखाई है। कंपनी 30 लाख जूते हर साल बनाएगी। चीन से सस्ता श्रम हमारे यहां हैं। यूपी में निवेश की व्यापक संभावनाएं दिख रही हैं।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोविड-19 डेडिकेटेड हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के मोबाइल ले जाने पर रोक संबंधी आदेश को वापस ले लिया है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा एंव प्रशिक्षण महानिदेशक केके गुप्ता ने एक नया ऑर्डर जारी किया है। दरअसल, यूपी सरकार ने शनिवार को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कोविड-19 समर्पित अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों के मोबाइल फोन ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। सरकार के इस फैसले पर विपक्षी नेताओं ने सवाल भी उठाए थे। आलोचना के बाद सरकार ने अपने आदेश को वापस ले लिया है।

सरकार के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सवाल उठाए थे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड के साथ पूरे देश में इसे बैन कर देना चाहिए। यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है। वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था व दुर्दशा का सच जनता तक न पहुँचे, इसीलिए ये पाबंदी है। ज़रूरत मोबाइल की पाबंदी की नहीं बल्कि सैनेटाइज करने की है।

लखनऊ: यूपी के अस्पतालों के आइसोलेशन वार्डों में भर्ती मरीजों के मोबाइल ले जाने पर रोक लगाने के आदेश पर सपा अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर तंज कसा है। अखिलेश यादव ने कहा कि अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड के साथ पूरे देश में इसे बैन कर देना चाहिए। यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है। वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था व दुर्दशा का सच जनता तक न पहुँचे, इसीलिए ये पाबंदी है। ज़रूरत मोबाइल की पाबंदी की नहीं बल्कि सैनेटाइज़ करने की है।

ये है पूरा मामला

यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एल-2 और एल-3 के कोविड-19 के अस्पतालों के आइसोलेशन वार्डों में भर्ती मरीजों के मोबाइल ले जाने पर रोक लगा दी है। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ. के.के. गुप्ता ने सभी चिकित्सा विश्वविद्यालयों, चिकित्सा संस्थानों और सभी सरकारी व निजी मेडिकल कालेजों के प्रमुखों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि मोबाइल से संक्रमण फैलता है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिवसेना और संजय राउत पर पलटवार किया है। शिवसेना के मुख्यपत्र 'सामना' के संपादकीय में अपनी तुलना जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर से किए जाने पर सीएम योगी ने कहा है कि अगर महाराष्ट्र सरकार प्रवासी श्रमिकों के लिए सौतेली मां भी बन गई होती, तो वे वापस उत्तर प्रदेश नहीं आते। राज्यसभा सांसद संजय राउत सामना के संपादक भी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस मुद्दे पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए गए हैं। एक ट्वीट में संजय राउत को टैग करते हुए लिखा गया है, 'एक भूखा बच्चा ही अपनी मां को ढूंढता है। यदि महाराष्ट्र सरकार ने 'सौतेली मां' बन कर भी सहारा दिया होता तो महाराष्ट्र को गढ़ने वाले हमारे उत्तर प्रदेश के निवासियों को प्रदेश वापस न आना पड़ता।'

'शिवसेना की सरकार से सिर्फ छलावा ही मिला'

एक अन्य ट्वीट में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर तीखा हमला बोला गया है। इसमें कहा गया है कि उद्धव ठाकरे के व्यवहार के लिए मानवता कभी माफ नहीं करेगी।

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