लखनऊ: हाईकोर्ट द्वारा सीएए के विरोध प्रदर्शन में हिंसा के आरोपियों की होर्डिंग राजधानी के चौराहों व सड़कों से हटाए जाने के आदेश का विरोधी दलों ने स्वागत किया है। विरोधी दल के नेताओं ने कहा है कि हाईकोर्ट के इस आदेश से राज्य सरकार की मनमानी पर रोक लगेगी। विरोधियों ने राज्य सरकार के रवैये को दमनकारी बताया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि लखनऊ में सीएए के विरोध में किए गए आंदोलन मामले में हिंसा के आरोपियों के खिलाफ सड़कों व चौराहों पर लगे बड़े-बड़े सरकारी होर्डिंग व पोस्टरों को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर उन्हें तत्काल हटाए जाने का आदेश दिया है। बसपा इस फैसले का स्वागत करती है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि भाजपा जबसे केंद्र और राज्य में आई है वह एक वर्ग विशेष के प्रति विद्वेषपूर्ण रवैया रखती है। उसे परेशान करने के लिए सारी लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार करने पर अमादा है। पिछले कुछ दिनों से इसकी सीरीज जैसी चलाई जा रही है उसी कड़ी की अंतिम परिणति थी, जिसे हाईकोर्ट ने दुरूस्त करने की कोशिश की है।
यह भारतीय संविधान और न्याय की विजय है।
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे यह साबित हो गया है कि लोकतंत्र में कानून से ऊपर कोई नहीं है। हाईकोर्ट का यह फैसला तानाशाही रवैया अपनाने वालों के लिए सबक तो है ही साथ ही निजता के अधिकार की रक्षा भी है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने स्वागत करते हुए कहा है कि हाईकोर्ट के फैसला तनाशाह और लोकतंत्र विरोधी सरकार के लिए सबक है। सरकार को इसके लिए जनता से क्षमा मांगनी चाहिए, लेकिन सरकार को अभी भी अक्ल नहीं आई और वह खीझ मिटाने को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का इरादा जता रही है।