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लखनऊ (जनादेश ब्यूरो): समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भारत के संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं शांति पूर्ण धरना-प्रदर्शन पर रोक नहीं है। महिलाओं को पुरूषों के बराबर अधिकार दिए गए है। सीएए, एनआरसी, एनपीआर के विरोध में महिलाएं, बच्चे प्रदेश में कई स्थलों पर दिया जा रहा हैं। लखनऊ में समाजवादी छात्रसभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूजा शुक्ला को घंटाघर, लखनऊ में धरना के समर्थन में बैठने के कारण आज पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर यातना दी गई। कुमारी पूजा को पुलिस ने अपमानित किया और जेल भेज दिया।इटावा में प्रदर्शनकारी महिलाओं पर लाठीचार्ज किया गया। पुलिस का यह आचरण नितांत निंदनीय और लोकतंत्र की स्वस्थ परम्परा के विपरीत है।

यादव ने कहा कि महिलाओं के प्रदर्शन से घबराई भाजपा सरकार उन पर धरना खत्म करने का दबाव बनाने में लगी है। घंटाघर पार्क में बैठी महिलाओं के साथ ही राहगीरों से भी पुलिस अभद्रता कर रही है। पुलिस का यह रवैया समझ से परे है क्योंकि धरना लगातार शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है। धरना स्थल पर धारा 144 लगाने का कोई औचित्य नही है।

क्योंकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि धारा 144 अनावश्यक तौर पर लागू करना नागरिक स्वतंत्रता पर प्रहार है। विरोधी आवाज को कुचलने का कोई भी प्रयास विधि सम्मत नहीं हो सकता है। लखनऊ में न तो घंटाघर पर कोई हिंसा हो रही थी और नहीं सार्वजनिक सुरक्षा पर कोई खतरे की आशंका थी।

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार के दौरान लगातार महिलाओं का अपमान होता रहा है। हर क्षण उनकी सुरक्षा व सम्मान खतरे में रहता है। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरों के आंकड़ों में भी उत्तर प्रदेश महिलाओं और बच्चियों के लिए बहुत असुरक्षित स्थान है। विदेशी पर्यटकों तक को यहां अवांछित तत्वों का शिकार होना पड़ता है। उत्तर प्रदेश में मुखिया विहीन सरकार चल रही है। कहीं कानून का राज नहीं दिखाई देता है। क्या यही लोकतांत्रिक व्यवस्था है?।

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