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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के 6 महीने पूरे होने पर सोमवार को एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश की खामियों पर श्वेतपत्र जारी किया और कहा कि अपनी 6 महीने की खूबियां गिनाने के लिए फिर प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करेंगे।

योगी सरकार ने काफ़ी मेहनत कर एक 24 पेज का श्वेतपत्र तैयार किया है। इसमें मायावती, मुलायम सिंह और अखिलेश यादव सरकार की 25 खामियां बयान की गयी हैं। इसमें बड़ा हमला मायावती और अखिलेश पर है।

अखिलेश सरकार पर आरोप लगाया है कि उसमें भू माफियाओं को पनाह दी गयी, जेल अपराधियों की आरामगाह बन गये, किसान कर्जदार हो गये, गोमती रिवर फ्रंट बनाने में गड़बड़ी की, यूपी लोकसेवा आयोग की नौकरी में जातिवाद और भ्रष्टाचार चला, बिजली देने में भेदभाव किया, यश भारती पुरस्कार की बंदरबांट हुई और हर हफ्ते 2 दंगे हुए।

योगी ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि, 'पिछले 12-15 वर्षों में प्रदेश के अंदर काम करने वाली सरकारों की एक अनंत श्रृंखला है।

बावजूद कुछ मुख्‍य बिंदुओं को फोकस करते हुए हम लोगों ने इस छोटी सी पुस्तिका के मध्यम से आप सब के संज्ञान में लाने का एक प्रयास किया है।'

श्वेतपत्र में मायावती के स्मारकों के बनाने में हुए घोटालों से लेकर एनआरएसएम घोटाले तक का ज़िक्र है। इसमें कहा गया है कि मायावती सरकार में नोएडा और लखनऊ में स्मारक बनाने की लागत बनते-बनते 483 फीसदी बढ़ गई। स्मारक बार-बार बनाए और गिराए गये। एनआरएचएम में बड़ा घोटाला हुआ। 21 चीनी मिलें कौड़ियों के भाव बेच दीं। कोटे का राशन बाज़ार में बिक गया और शराब का ठेका एक ही परिवार को दे दिया।

योगी ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में मायावती का नाम लिए बिना कहा कि 'अपनी फ़िज़ूलखर्ची, अपने भ्रष्टाचार और अनावश्यक जो योजनाएं जिनका लोक कल्याण से मतलब नहीं था, उनमें कमी नहीं की, विकास की योजनाओं में कमी की। भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया गया। प्रदेश में विकास की योजनाओं को अंकुश लगाया गया।'

हालांकि कुछ राजनीतिक टिप्‍पणीकार कहते हैं कि आज जनता की दिलचस्पी इसमें नहीं है कि 14 साल पहले क्या हुआ, बल्कि इसमें है कि आज क्या हो रहा है और कल उसका भविष्या क्या होगा।

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