हरिद्वार: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत की पहचान ऋषि मुनि और संत हैं। उन्होंने कहा कि इंडिया गेट, लाल किला और ताजमहल से भी भारत की पहचान नहीं होती। भारत की पहचान गंगा से है। कोई एक व्यक्ति या संगठन राष्ट्र निर्माता बिल्कुल नहीं होता, बल्कि देश के लिए अपने कर्तव्यों को निभाने वाले सभी लोग असली राष्ट्र निर्माता हैं।
राष्ट्रपति शनिवार शाम दिव्य प्रेम सेवा मिशन में आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नर सेवा को नारायण सेवा बताते हुए अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि मानव सेवा को ही अपना धर्म समझने वाले दिव्य प्रेम सेवा मिशन जैसे संस्थान में आकर उन्हें स्वामी विवेकानंद का दर्शन समझ में आता है।
हरकी पैड़ी पर शाम को होने वाली आरती हर किसी के हृदय को प्रभावित करती है। हरिद्वार के मेले और अनुष्ठान सदियों से चले आ रहे हैं। अच्छे परिवेश के दिव्य प्रेम सेवा मिशन जैसे संस्थान में पढ़ाई करने वाले छात्र बहुत भाग्यवान हैं।
उन्होंने आचार्य बालकृष्ण के सामाजिक कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि बालकृष्ण ही असली काम करते हैं, बाबा रामदेव तो केवल प्रचार करते हैं। राष्ट्रपति ने पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए पर्यावरण प्रेमी सुंदर लाल बहुगुणा को भी याद किया।
उन्होंने कहा कि जो पानी कई प्रदेशों को सींचता है उसका उद्गम उत्तराखंड से ही होता है। जिस प्रयास से राजा भगीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाए थे, इस प्रदेश के विकास के लिए वैसे ही प्रयास की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि हो सकता है कि मौसम खराब होने से मैं केदारनाथ न जाए पाऊं, लेकिन वो बुलाएंगे तो फिर रोकने वाला कौन है। राष्ट्रपति ने सड़कों पर भीगते हुए ड्यूटी निभा रहे पुलिस वालों की सराहना की।
उन्होंने शनिवार को लोगों को हुई परेशान के लिए खुद को जिम्मेदार बताया। उन्होंने हाथ जोड़कर मां गंगा से प्रार्थना करते हुए कहा कि ‘मां आप अपने असली स्वरूप में आइए स्वच्छता के लिए सरकार और लोगों पर निर्भर मत रहिए।
प्रदेश के राज्यपाल डा. कृष्णकांत पॉल ने उत्तराखंड आगमन पर राष्ट्रपति का स्वागत किया। राज्यपाल ने दिव्य प्रेम सेवा मिशन से जुड़ाव को अपना सौभाग्य बताया और संस्था को पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणादायक करार दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों में समाज के प्रति संवेदनशीलता का गुण विकसित करना बहुत जरूरी है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड आने पर राष्ट्रपति का आभार जताया। कहा कि जो बच्चे हिकारत का जीवन जीते थे उन्हें दिव्य प्रेम सेवा मिशन ने गले लगाया। यह सभी के लिए प्रेरणादायक है। पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि महामहिम के आगमन से समाज सेवा में लगी इस संस्था को नई ऊर्जा मिली है।
उन्होंने सबका आभार जताते हुए कहा कि आत्म जागरण से राष्ट्र जागरण का यह अभियान फलीभूत होगा। मिशन प्रमुख आशीष गौतम ने संस्था का मार्गदर्शक होने और मिशन में पधारने पर राष्ट्रपति का आभार जताया। उन्होंने महात्मा बुद्ध के सम्यक दर्शन, सम्यक कर्म, सम्यक भोज, सम्यक समाधि और अष्टांग योग को याद करते हुए कहा कि कोई सरिता सूख न जाए हिमालय को इसलिए गलना स्वीकार है। कहा कि 20 साल पहले जब रामनाथ कोविंद जब यहां आए थे तो हम झुग्गी में रहते थे।
उन्होंने कहा कि जिस तरह राज्यसभा सांसद रहते हुए रामनाथ कोविंद ने बच्चों को झुग्गी से निकालकर यहां तक पहुंचाया, उसी तरह इस राष्ट्र की समस्त विपदाओं को दूर करने का हौसला भगवान उन्हें दे।
संजय चतुर्वेदी ने मंच संचालन किया। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक, विधायकों में स्वामी यतिश्वरानंद, आदेश चौहान, सुरेश राठौर, प्रदीप बत्रा, प्रणव सिंह चैंपियन, मेयर मनोज गर्ग, पूर्व कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, सुशील चौहान, नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष कमल जौरा, डा. अरविंद नारायण मिश्र सहित बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।