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नैनीताल: हाईकोर्ट ने गंगा में प्रदूषण को लेकर पूर्व में दिए निर्देश के क्रम में गुरुवार को क्रियान्वयन संबंधी जानकारी ली। इस मामले में याची ने निर्देश के पालन में हीलाहवाली की ओर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया। इस पर कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को फटकार लगाई। कोर्ट ने साफ किया कि निर्देश का पालन नहीं करने वाले होटल, आश्रम व उद्योग को सील करने की कार्रवाई अमल में लाई जाए। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की संयुक्त खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। हरिद्वार निवासी अधिवक्ता ललित मिगलानी ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर जनहित याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने गत दिसंबर में इसको लेकर आदेश जारी किए थे। इसका अनुपालन नहीं होने पर कोर्ट ने गत 17 मार्च को प्रदेश के मुख्य सचिव सहित जिलाधिकारियों को तलब किया था। इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के केंद्र सरकार के संबंधित विभागों के अधिकारी तलब किए थे। इधर याचिकाकर्ता ने बताया कि हरिद्वार में क्लोजर नोटिस दिए जाने के बावजूद स्थिति में बदलाव नहीं आया है। ज्वालापुर में नदी में टेंट व दरियों की धुलाई की जा रही है। कुछ स्थानों में मांस के टुकड़े भी नदी में डाले जा रहे हैं। इस पर संयुक्त खंडपीठ ने कोर्ट में मौजूद उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव विनोद सिंघल को लताड़ लगाई।

कोर्ट ने कड़ी कार्रवाई के पुन: निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने गंगा को प्रदूषण से बचाने की जनहित याचिका के तहत दिए गए निर्देश से प्रभावितों ने भी अपना प्रत्यावेदन दिया है। अलग अलग विभागों को दिए गए प्रत्यावेदन के क्रम में कोर्ट दिशा निर्देश जारी करेगा। संयुक्त पीठ ने आज हुई सुनवाई के दौरान इसके लिए कल शुक्रवार यानी 31 मार्च की तिथि तय की है।

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