नई दिल्लीः कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद राज्य में मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस पर आज कांग्रेस की अहम बैठक में फैसला होगा। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए आज शाम 6 बजे बेंगलुरु के शांगरी.ला होटल में बैठक बुलाई है। कांग्रेस विधायक दल द्वारा एक प्रस्ताव पारित किए जाने की उम्मीद है, जो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मुख्यमंत्री चुनने का फैसला करने के लिए छोड़ देगा। डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया दोनों शीर्ष नेता इस पद के दावेदार है। अगर मामले का समाधान सहमति से नहीं हुआ, तो पार्टी के भीतर अप्रिय गतिरोध की आशंका बढ़ सकती है।
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुशील कुमार शिंदे (पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र), जितेंद्र सिंह (एआईसीसी जीएस) और दीपक बाबरिया (पूर्व एआईसीसी जीएस) को कर्नाटक के सीएलपी नेता के चुनाव के लिए पर्यवेक्षकों के रूप में नियुक्त किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जिन्होंने कल शाम राज्य के दो शीर्ष पार्टी नेताओं के साथ एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
राज्य के लोगों को जीत के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही पार्टी के घोषणापत्र में कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के वादे को जल्द लागू करने का वादा दोहराया। कांग्रेस की जीत का पैमाना 30 वर्षों में सीटों और वोट शेयर दोनों के मामले में एक रिकॉर्ड है।
पार्टी ने 137 सीटें जीती हैं, जो 2018 की तुलना में 57 सीट अधिक है। वहीं कांग्रेस को 42.9 प्रतिशत के वोट शेयर मिला है। कांग्रेस इस स्कोर के सबसे करीब 1999 में आई थी, जब उसने 132 सीटें जीती थीं और उसका वोट शेयर 40.84 प्रतिशत था। 1989 में, इसने 43.76 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 178 सीटें जीतीं।
बीजेपी ने 36 फीसदी वोट शेयर के साथ 65 सीटें जीती हैं और एचडी कुमारस्वामी की जनता दल.सेक्युलर ने 13.3 फीसदी वोट शेयर के साथ 19 सीटें जीती हैं। उम्मीदों से कहीं बढ़कर सिद्धारमैया ने कहा था कि कांग्रेस 120 से अधिक सीटों की उम्मीद कर रही है।
अंदरूनी कलह की सुगबुगाहट ने कल जोर पकड़ लिया, क्योंकि डीके शिवकुमार ने कल सिद्धारमैया के बेटे की एक टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और मुख्यमंत्री पद पर फैसला हाईकमान पर छोड़ दिया।
शिवकुमार कल गांधी परिवार से किए गए वादे को पूरा करने की बात कहते हुए रो पड़े थे। उन्होंने यह भी कहा कि जब से उन्होंने वादा किया है, वह तीन साल से सोए नहीं हैं। भावुक कांग्रेसी नेता ने कहा, ‘मैंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को आश्वासन दिया कि मैं कर्नाटक को बचा लूंगा। सोनिया गांधी का जेल में मुझसे मिलने आना मैं नहीं भूल सकता।‘
मुख्यमंत्री कौन होगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ष्कांग्रेस कार्यालय हमारा मंदिर है। हम अपना अगला कदम कांग्रेस कार्यालय में तय करेंगे। सिद्धारमैया के विपरीत शिवकुमार हमेशा एक कांग्रेसी रहे हैं और 1989 में अपनी पहली चुनावी जीत के बाद से एक भी चुनाव नहीं हारे हैं।
75 वर्षीय सिद्धारमैया ने बार.बार कहा है कि यह उनकी आखिरी चुनावी लड़ाई है, उम्मीद है कि शायद कांग्रेस अपनी पसंद बनाते समय इस पर विचार करेगी। कांग्रेस में अपने आलोचकों के लिए, सिद्धारमैया अभी भी ‘बाहरी‘ हैं। जो किसी अन्य पार्टी से आयात किए गए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान मीडिया के सर्वेक्षण से पता चला कि सिद्धारमैया कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री के लिए सबसे लोकप्रिय पसंद थे।