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बेंगलुरू: पत्रकार-कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या की साजिश रचने वाला आपराधिक गिरोह (सिंडिकेट) उन्हें ‘दुर्जन’ कहता था। इस मामले की जांच कर रही विशेष टीम (एसआईटी) ने यह जानकारी दी और कहा कि हत्या के इस मामले में संदिग्ध लोगों की पहचान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली का उपयोग किया गया। एसआईटी ने कहा कि गोवा के दक्षिणपंथी संगठन ‘सनातन संस्था’ के साहित्य से प्रभावित गिरोह ने लंकेश को अगस्त 2016 में ‘दुर्जन’ नाम दिया और उनकी हत्या की साजिश शुरू कर दी। गिरोह में 18 लोग शामिल थे।

अपने वामपंथी रुझान को लेकर मशहूर 55 वर्षीया गौरी लंकेश की पिछले साल 05 सितंबर को उनके घर के बाहर हत्या कर दी गई थी। इस घटना की व्यापक भर्त्सना की गई थी। एसआईटी ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली का इस्तेमाल संदिग्ध लोगों और वाहनों की तस्वीरें तैयार करने के लिए किया गया ताकि उनकी बेंगलुरु सिटी पुलिस द्वारा प्रमुख सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के 200 टेराबाइट वीडियो फुटेज से तुलना की जा सके।

एसआईटी ने कहा कि उसने 2500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ और जांच की तथा संदिग्ध 10 हजार दोपहिया वाहनों का पता लगाकर उनके मालिकों से पूछताछ की। एसआईटी ने मई में पहला आरोप-पत्र और शुक्रवार को अतिरिक्त आरोप-पत्र दायर किया था। एसआईटी ने कहा कि अगस्त 2016 में सिंडिकेट की एक बैठक में मुख्य सदस्यों ने लंकेश को ‘दुर्जन’ कहा था। एसआईटी ने अतिरिक्त आरोप-पत्र दाखिल करने के बाद जांच में हुई प्रगति का विवरण देते हुए कहा कि उन लोगों ने संयुक्त रूप से गौरी लंकेश की हत्या की साजिश रची।

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