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श्रीनगर: भारत की ओर से पाकिस्तान पर कश्मीर में असंतोष भड़काने की बात कहने के बीच पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने गुरुवार को अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक को फोन किया और कहा कि राज्य के लोगों के प्रति ‘एकजुटता’ प्रदर्शित करने के लिए कल रैलियां आयोजित की जाएंगी। हुर्रियत कान्फ्रेंस के एक प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पुत्र बिलावल ने फोन पर फारूक से कहा कि वह घाटी में ‘मानवाधिकार के घोर उल्लंघन और खराब होती स्थिति को लेकर चिंतित हैं।’ पीपीपी नेता ने मीरवाइज से कहा कि कश्मीर के लोगों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए उनकी पार्टी कल शुक्रवार की नमाज के बाद पूरे पाकिस्तान में कार्यक्रम आयोजित करेगी और रैलियां निकालेगी। बिलावल ने कहा कि अपने नाना जुल्फिकार अली भुट्टो और मां बेनजीर की तरह वह और उनकी पार्टी कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के तहत कश्मीरी लोगों की इच्छाओं एवं आंकाशाओं के अनुरूप करने के लिए खड़े हैं। बिलावल का मीरवाइन को फोन भारत के यह कहने के बावजूद आया है कि पाकिस्तान का कश्मीर के घटनाक्रमों को लेकर कोई अधिकार नहीं है।

श्रीनगर: कश्मीर के गंदरबल जिले में अमरनाथ यात्रा के बालताल स्थित आधार शिविर में दिल का दौरा पड़ने से भंडारे में सेवादार के रूप में काम करने वाले एक व्यक्ति की मौत हो गयी। इसके साथ ही अमरनाथ यात्रा के दौरान मरने वाले लोगों की संख्या 11 हो गयी है। उत्तर प्रदेश निवासी सेवादार विनोद कुमार ने बालटाल आधार शिविर में बीती रात अंतिम सांस ली। यात्रा में अभी तक एक सीआरपीएफ जवान सहित कुल 11 लोगों की मौत हो चुकी है। गुजरात के भाभा भरत बालटाल मार्ग पर संगम के समीप पवित्र गुफा की ओर बढ़ते हुए घोड़े से गिरने के कारण घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और अब उनका इलाज चल रहा है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि यात्रा छोटे मार्ग बालटाल से सुचारू रूप से चल रही है। साथ ही 42 किलोमीटर लंबे और अनंतनाग जिले में पारंपरिक पहलगाम मार्ग पर भी यात्रा सुचारू रूप से चल रही है। सूत्रों ने बताया कि आज दोपहर एक बजे तक 5658 तीर्थयात्रियों ने बाबा बर्फानी के दर्शन कर लिए हैं। दो जुलाई को यात्रा शुरू होने के बाद से अभी तक 1,51,862 तीर्थयात्री पवित्र गुफा में शिवलिंग के दर्शन कर चुके हैं। 48 दिन तक चलने वाली यात्रा 18 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा तथा रक्षा बंधन के त्यौहार के दिन समाप्त होगी।

श्रीनगर: कश्मीर में हिज़बुल के आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद फैली हिंसा के पांच दिन बाद भी तनाव जारी है। अलगाववादी नेताओं ने अपना बंद शुक्रवार तक के लिए बढ़ा दिया है। घाटी में बुधवार को भी हिंसा और प्रदर्शन जारी रहा। कल अनंतनाग में हुई हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई है, जिसके साथ हिंसा में मारे जाने वालों की तादाद 36 हो चुकी है। कल ही शहीदी दिवस के मौके पर कब्रिस्तान तक जाने की कोशिश कर रहे सैयद अली शाह गिलानी सहित कई अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। श्रीनगर, अनंतनाग, कुपवाड़ा और पंपोर सहित कई इलाकों में अब भी कर्फ्यू है। इधर, कल केंद्र सरकार की ओर से आंख के डॉक्टरों की एक टीम भी कश्मीर भेजी गई है। इस टीम में एम्स के दो डॉक्टर शामिल हैं। इस हिंसा की वजह से जम्मू-कश्मीर में आम जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। यहां खाने पीने के सामान की कीमतें काफी महंगी हो गई हैं। राज्य के बाहर से आने वाली चीजें कर्फ्यू की वजह से रास्ते में ही अटकी हैं, जिससे सब्ज़ियों और फलों के दाम काफी बढ़ गए हैं। शुक्रवार की रात को 22-वर्षीय हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी को मार गिराए जाने के बाद से कश्मीर घाटी में जारी संघर्ष में पिछले चार दिनों के दौरान अब तक 36 लोगों की मौत हो चुकी है, और 800 से ज़्यादा घायल हो चुके हैं।

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी को हिंसा और खून-खराबे के दौर से बाहर निकालने के लिए आज जनता से सहयोग मांगा। महबूबा ने कहा कि घाटी में हुई मौतों के कारण उनका हृदय दुख और संताप से भर गया है। महबूबा ने कहा, ‘27 साल से जारी हिंसा ने यहां के लगभग हर परिवार को गहरे जख्म दिए हैं। और अधिक खून खराबे तथा तबाही को रोकने, अपने राज्य तथा यहां के लोगों को सुरक्षित करने के लिए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा, ‘मेरी सरकार की तात्कालिक प्राथमिकता पीड़ित परिवारों को राहत पहुंचाना है। लेकिन घाटी में शांति और स्थिरता लाने के लिए दीर्घकालिक कदम के तौर पर हमें संयुक्त प्रयास करने होंगे। सरकार की कल्याणकारी पहलों का केंद्र युवा हैं।’ मुख्यमंत्री ने शहर के केंद्र ख्वाजा बाजार में स्थित शहीदों के कब्रिस्तान पर 1931 के शहीदों को श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए यह कही । उन्होंने कहा कि घाटी में राजनीतिक रूप से उन्मुक्तता, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भरता और सामाजिक रूप से सुरक्षा के सपने को पूरा करने के लिए उन्हें जनता के सहयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 13 जुलाई, 1991 को जम्मू-कश्मीर के इतिहास में निर्णायक माना जाता है क्योंकि यही वह समय था जब यहां लोकतंत्र की स्थापना हुई थी। पंपोर और कुपवाड़ा शहरों समेत कश्मीर घाटी के कई हिस्सों में कर्फ्यू जारी है और शेष घाटी में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध बरकरार है। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुइ झड़पों में मरने वालों की संख्या 34 हो गई है।

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