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चेन्नई:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चेन्नई के राजाजी हॉल पहुंचकर जयललिता को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके पार्थिव शरीर वाले ताबुत के समक्ष पहुंचे तो व्यथित मौजूदा मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम कई बार भावुक होकर उनके गले से लिपट गए। कड़ी सुरक्षा के बीच प्रधानमंत्री मोदी जब राजाजी हॉल में पहुंचे तो वहां का माहौल बेहद गमगीन हो उठा। जयललिता के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए यहीं रखा गया है। प्रधानमंत्री जब जयललिता के पार्थिव शरीर के समक्ष पुष्प चक्र रखकर पनीरसेल्वम की ओर बढ़े तो वह बिलखकर बिखर से गए और मोदी से लिपटकर रोने लगे। तब प्रधानमंत्री ने उनकी पीठ पर हाथ फेरा और हिम्मत बनाए रखने के लिए कहा। जब मोदी अपने वाहन की ओर बढ़े तो पनीरसेल्वम एक बार फिर उनसे लिपटकर रोने लगे। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने रोती हुई शशिकला को ढांढस बंधाया था। शशिकला जयललिता की करीबी रही हैं। उस समय भी पनीरसेल्वम एकबार फिर बिलख पड़े थे। तब प्रधानमंत्री ने उन्हें गले से लगा लिया था और उनसे भावनाओं को काबू में रखने के लिए कहा था। राजाजी हॉल में जयललिता के अंतिम दर्शनों के लिए जुटी भारी भीड़ में से जब प्रधानमंत्री होकर गुजरे तो बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी वहां मुस्तैदी के साथ तैनात थे।

चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने सोमवार रात मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के मद्देनजर मंगलवार से सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की। मुख्य सचिव पी राम मोहन राव ने एक अधिसूचना में कहा कि इस अवधि में सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। इस दौरान कोई आधिकारिक मनोरंजन भी नहीं होगा। इसमें कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार बड़े दुख के साथ तमिलनाडु की मुख्यमंत्री सेल्वी जयललिता के सोमवार, पांच दिसंबर 2015 को रात साढ़े ग्यारह बजे निधन होने की घोषणा करती है। छह दिसंबर से सात दिनों का राजकीय शोक होगा, इस अवधि में सभी सरकारी भवनों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। इस अवधि में आधिकारिक मनोरंजन भी नहीं होगा। सरकार ने राज्य में सभी शिक्षण संस्थानों में तीन दिवसीय अवकाश की भी घोषणा की है। पड़ोस के केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी ने भी जयललिता के सम्मान में कल सभी सरकारी कार्यालयों और शिक्षण संस्थानों में एक दिन की छुट्टी की घोषणा की है।

चेन्नई: पिछले तीन दशकों से तमिलनाडु की राजनीति में महत्वपूर्ण सितारा रहकर अपनी शर्तों पर राजनीति करने वाली जयललिता तमाम अड़चनों और भ्रष्टाचार के मामलों से झटके के बावजूद वापसी करने में सफल रहीं थीं। छठे और सातवें दशक में तमिल सिनेमा में अभिनय का जादू बिखेरनी वाली जयललिता अपने पथप्रदर्शक और सुपरस्टार एमजीआर की विरासत को संभालने के बाद 5 बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं। राजनीति में तमाम झंझावतों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी बदौलत अपना मुकाम हासिल किया। कर्नाटक के मैसूर में एक ब्राह्मण परिवार में जयललिता का जन्म हुआ था। ब्राह्मण विरोधी मंच पर द्रविड़ आंदोलन के नेता अपने चिर प्रतिद्वंद्वी एम करूणानिधि से उनकी लंबी भिड़ंत हुयी। राजनीति में 1982 में आने के बाद औपचारिक तौर पर उनकी शुरुआत तब हुयी जब वह अन्नाद्रमुक में शामिल हुयीं। वर्ष 1987 में एम जी रामचंद्रन के निधन के बाद पार्टी को चलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गयी और उन्होंने व्यापक राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया। भ्रष्टाचार के मामलों में 68 वर्षीय जयललिता को दो बार पद छोड़ना पड़ा लेकिन दोनों मौके पर वह नाटकीय तौर पर वापसी करने में सफल रहीं। नायिका के तौर पर जयललिता का सफर ‘वेन्निरा अदाई’ (द व्हाइट ड्रेस) से शुरू हुआ। राजनीति में उनकी शुरुआत 1982 में हुयी जिसके बाद एमजीआर ने उन्हें अगले साल प्रचार सचिव बना दिया। रामचंद्रन ने करिश्माई छवि की अदाकारा-राजनेता को 1984 में राज्यसभा सदस्य बनाया जिनके साथ उन्होंने 28 फिल्में की। 1984 के विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रभार का तब नेतृत्व किया जब अस्वस्थता के कारण प्रचार नहीं कर सके थे।

चेन्‍नई: जयललिता के अत्‍यंत विश्‍वस्‍त रहे मंत्री ओ पन्‍नीरसेल्‍वम को अन्‍नाद्रमुक ने पार्टी का नया नेता चुन लिया और देर रात राज्‍यपाल सी विद्यासागर राव ने मुख्‍यमंत्री के रूप में उनको पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके अलावा 15 अन्‍य मंत्रियों ने भी शपथ ली. पन्‍नीरसेल्‍वम इससे पहले भी दो बार उस वक्‍त मुख्‍यमंत्री बने थे जब भ्रष्‍टाचार के मामलों के चलते जयललिता को पद से हटना पड़ा था। इससे पहले चेन्‍नई में पार्टी मुख्‍यालय में अन्‍नाद्रमुक के विधायकों की बैठक हुई और वहां पन्‍नीरसेल्‍वम को नया नेता चुना गया। इसी बीच तमिलनाडु के स्‍पीकर पी धनपाल ने राज्‍य के गवर्नर सी विद्यासागर राव से मुलाकात की। हालांकि इससे पहले सोमवार शाम को सूत्रों ने बताया था कि जयललिता पर इलाज का असर हो रहा है। लेकिन उसके कुछ देर बाद ही डॉक्‍टरों ने कहा कि उनकी स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं दिखाई दे रहा। इससे पहले सोमवार शाम को एक स्‍थानीय टीवी चैनल ने जब उनकी मृत्‍यु की गलत सूचना चला दी तो अपोलो अस्‍पताल के बाहर उनके समर्थक उग्र हो गए और हिंसा पर उतारू हो गए। इसके चलते पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियां भी भाजनी पड़ीं। अन्‍नाद्रमुक पार्टी मुख्‍यालय पर कुछ देर के लिए पार्टी झंडे को आधा झुका भी दिया गया था 

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