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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो) दिल्ली में रविवार (28 मई) को दो बड़े घटनाक्रम देखने को मिले। पहला लोकतंत्र के नए मंदिर यानी नए संसद भवन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया। दूसरा जंतर-मंतर पर बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने संसद भवन की ओर कूच करने की कोशिश की। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

नई संसद की ओर कूच करने पर हिरासत में ली गई महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि हम शांतिपूर्वक मार्च कर रहे थे, लेकिन उन्होंने हमें जबरदस्ती घसीटा और हिरासत में लिया।

इसको लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट करके घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि हमारे चैंपियंस के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया है, वो बेहद ही शर्मनाक हैं। सीएम ममता ने ट्वीटर पर लिखा, "जिस तरह से दिल्ली पुलिस ने साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और अन्य पहलवानों के साथ मारपीट की, उसकी कड़ी निंदा करती हूं।

उन्होंने कहा, यह शर्मनाक है कि हमारे चैंपियंस के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है। लोकतंत्र सहिष्णुता में है, लेकिन निरंकुश ताकतें असहिष्णुता और विरोध को दबाने पर पनपती हैं। मैं मांग करती हूं कि पुलिस हिरासत से पहलवानों को तुरंत रिहा किया जाए। मैं पहलवानों के साथ खड़ी हूं।"

दिल्ली पुलिस ने उखाड़े तंबू

इससे पहले नई संसद की ओर बढ़ते पहलवानों और प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के बाद दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर से तंबू भी उखाड़ने शुरू कर दिए हैं। पहलवानों को हिरासत में लिए जाने के बाद जेएनयू के छात्र भी उनके समर्थन उतर आए हैं। आइसा (आइसा) कार्यकर्ता गंगा ढाबा पर एकत्रित होकर नारेबाजी कर रहे हैं।

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