नई दिल्लीः फिल्म ‘द केरल स्टोरी‘ पर पश्चिम बंगाल में बैन लगाने के मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में फिल्म ‘द केरल स्टोरी‘ पर प्रतिबंध लगाने का बचाव किया है। सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि फिल्म में हेट स्पीच है और यह मनगढ़ंत तथ्यों पर आधारित है। खुफिया जानकारी से पता चला है कि अगर फिल्म की स्क्रीनिंग की अनुमति दी गई तो कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने हलफनामे में कहा कि इस फिल्म में तथ्यो के साथ भी छेड़छाड़ की गई है, जिससे राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द और कानून व्यवस्था के मुद्दे हो सकते हैं। साथ ही सरकार ने कहा कि अगर फिल्म की स्क्रीनिंग की इजाजत ली गई होती, तो सांप्रदायिक समूहों के बीच झड़प होने की संभावना बरकरार रहती है। घृणा और हिंसा की किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य में फिल्म पर प्रतिबंध लगाया गया है। फिल्म पर प्रतिबंध खुफिया जानकारी के आधार पर लिया गया नीतिगत निर्णय है।
इसके साथ ही हलफनामे में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। वित्तीय नुकसान को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में नहीं लिया जा सकता है। फिल्म निर्माताओं को हुए वित्तीय नुकसान के लिए राज्य को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।
सरकार ने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि फिल्म ‘द केरल स्टोरी‘ पर सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दो समुदायों के बीच हुए दंगों में एक व्यक्ति के मारे जाने और आठ अन्य के घायल होने के बाद महाराष्ट्र द्वारा राज्यव्यापी सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया था। यह स्थापित करता है कि सही समय पर पश्चिम बंगाल राज्य की पूर्वव्यापी कार्रवाई से ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। राज्य द्वारा प्रतिबंध की समय पर कार्रवाई के कारण पश्चिम बंगाल राज्य में इस तरह की घटनाओं को रोका गया।
ब्रिटिश बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन द्वारा इसे आयु.रेटिंग नहीं दिए जाने के बाद फिल्म को ब्रिटेन में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं किया गया।
साथ ही कहा गया कि राज्य का फैसला अनुचित नहीं है, फिल्म अत्यधिक विवादास्पद है। इसने समुदाय के विभिन्न वर्गों के बीच हलचल मचा दी है।
इस मामले में अगली सुनवाई अब बुधवार को होनी है।