ताज़ा खबरें
हेमंत सोरेन ने पेश किया सरकार बनाने का दावा, 28 को लेंगे शपथ

पटना: पटना हाई कोर्ट के एक जज ने शुक्रवार को वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आनंद किशोर को उनके 'अनुचित' ड्रेसिंग कोड के लिए जमकर फटकारा। वहीं जज की फटकार के दौरान अधिकारी यह बताने की कोशिश कर रहा था कि वह अदालतों में पालन किए जाने वाले किसी भी ड्रेस कोड से बिल्कुल अनजान है। जज ने अधिकारी को फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि वो एक मूवी थियेटर में आए हैं। अब इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दरअसल ये मामला जज पीबी बजंथरी की अदालत का है।

जज पीबी बजंथरी ने आईएएस अधिकारी को अनुचित ड्रेस में देख उनसे पूछा कि क्या उन्होंने मसूरी में सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थान में भाग नहीं लिया था? अधिकारी जज के सवाल का जवाब तराशते नज़र आए, ज्यादातर समय बस वहीं खड़े होकर जज की बात सुन रहे थे। लेकिन इस बीच जज बजंथरी ने पूछा, "क्या आपको लगता है कि यह एक सिनेमा हॉल है?" "आप नहीं जानते कि आपको किस ड्रेस कोर्ट में अदालत में पेश होना है?" "कम से कम कोट और कॉलर तो खुला नहीं होना चाहिए।"

पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर में पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में शुक्रवार को एक नया मोड़ आ गया। केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (सीबीआई) द्वारा मृत घोषित की गई महिला गवाह बादामी देवी शुक्रवार को कोर्ट में हाजिर हुई। अदालत में सीबीआई ने बादामी की मृत्यु की रिपोर्ट दाखिल की थी, ऐसे में महिला के कोर्ट में उपस्थित होने से जांच एजेंसी सीबीआई की काफी किरकिरी हुई। सीबीआई ने जिस महिला को मृत बताकर कोर्ट में डेथ रिपोर्ट सबमिट की, वह महिला जिंदा निकली। आज यह महिला खुद मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट में न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित हुईं। उन्होंने जज के सामने आकर कहा, "हुजूर, मैं जिंदा हूं। मुझे सीबीआई वालों ने मृत घोषित कर दिया है।" अब कोर्ट ने सीबीआई से स्पष्टीकरण मांगा है।

दरअसल, मामला सीवान के पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड से जुड़ा है, इसमें महिला बादामी देवी गवाह हैं। सीबीआई ने 24 मई को कोर्ट में बादामी देवी को मृत बताते हुए रिपोर्ट दाखिल की थी। यह जानकारी जब बादामी को मीडिया से मिली तो वह काफी दुखी हुईं। वे आज स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुईं और कहा, "मैं जिंदा हूं।"

पटना: बिहार में मंत्रिपरिषद ने जातिगत जनगणना को मंजूरी दे दी है। साथ ही इसके लिए 500 करोड़ रुपये भी आवंटित कर दिए हैं। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए इसे बेहद जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि जब तक साइंटिफिक डेटा नहीं होगा, तब तक आप जिस सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि जन-जन तक विकास का लाभ पहुंचाना है, जो अभी तक नहीं पहुंच पाया है, उसमें कामयाब नहीं हो पाएंगे।

तेजस्वी ने कहा कि जैसे किसी के पेट में दर्द है तो वो सिर दर्द की गोली खा रहा है, क्योंकि हमारे पास आंकड़े सही नहीं हैं। आखिरी बार ये गिनती 1931 में हुई थी, इसीलिए अंतिम पायदान पर खड़े समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए यह करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आपके पास साइंटिफिक डेटा नहीं है, तो आप सरकार की नीतियों को सही तरीके से लोगों तक नहीं पहुंचा सकते। गिनती धर्मों की भी होती है, उससे क्या लाभ होता है। पेड़, जानवर सभी की गिनती होती है। हमें पता होना चाहिए की असली तस्वीर क्या है। कौन लेबर है, भिखारी कौन है पता होना चाहिए।

पटना: जातीय जनगणना पर बिहार में जारी सियासत के बीच नीतीश कैबिनेट का बड़ा फैसला आया है। कैबिनेट की बैठक में जातीय जनगणना पर मुहर लगा दी गई है। बताया जा रहा है कि कुल 12 एजेंडे पर मुहर लगी है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में बुधवार को हुई सर्वदलीय बैठक में जातिगत जनगणना को मंजूरी दी गई थी। भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों ने आज सर्वसम्‍मति से निकट भविष्‍य में जातिगत जनगणना का निर्णय लिया।

बता दें कि शुरुआत में जातिगत जनगणना को लेकर भाजपा असहज थी। हालांकि नीतीश की सरकार में पूर्व में उप मुख्‍यमंत्री रहे वरिष्‍ठ भाजपा नेता सुशील मोदी ने हाल ही में कहा था कि पार्टी ने कभी भी जातिगत जनगणना का विरोध नहीं किया और बिहार विधानसभा में इस बारे में पारित प्रस्‍ताव का भी समर्थन किया था। उन्‍होंने इस ओर भी ध्‍यान दिलाया था कि पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले नीतीश की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल के साथ भाजपा के राज्‍यमंत्री जनक राम भी थे।

भले ही बिहार में जातीय जनगणना पर सर्वदलीय सहमति बन गई हो, लेकिन इस पर सियासत अब भी जारी है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख