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इंफाल: मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला की राजनीतिक पार्टी पीपुल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस अलायंस (प्रजा) ने मणिपुर विधानसभा चुनाव के लिए आज अपना घोषणा-पत्र जारी किया, जिसमें सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) निरस्त करने, सभी निर्वाचित पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान करने और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए लोकायुक्त का गठन करने की मांग की गई है। महज तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही ‘प्रजा’ के संयोजक एरेंड्रो लिचोनबाम ने कहा कि पार्टी भले ही सरकार बनाने की स्थिति में नहीं रहे, लेकिन यह घोषणा-पत्र 2022 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव के लिए एक दृष्टि-पत्र के तौर पर काम करेगा। शर्मिला ने 16 वर्ष से चल रहा अपना अनशन पिछले साल खत्म करते वक्त कहा था कि वह मणिपुर से अफ्सपा हटाने के एकमात्र मकसद से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। एरेंड्रो ने कहा, ‘हम अफ्सपा के खिलाफ लड़ रहे हैं और वह लड़ाई जारी रहेगी, लेकिन इसके अलावा हमें लगता है कि लोकायुक्त के गठन की जरूरत है ताकि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच हो सके और भ्रष्टाचार-मुक्त मणिपुर का मकसद पूरा हो सके।’
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इंफाल: गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को खुलासा किया कि गत वर्ष सितम्बर में नियंत्रण रेखा के पार लक्षित हमले का निर्णय उरी में सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आहूत एक आपात बैठक में किया गया था। सिंह ने यहां कहा, ‘(गत वर्ष) सितम्बर में जब खबर आयी कि आतंकवादियों ने (उरी में) सेना के एक शिविर पर हमला करके 17 जवानों की हत्या कर दी है, एक आपात बैठक आहूत की गई जिसमें प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और मैंने अधिकारियों के साथ हिस्सा लिया और एक दृढ़ निर्णय किया गया कि एक लक्षित हमला किया जाएगा।’ भारत के विशेष बलों ने नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर स्थित सात आतंकवादी शिविरों पर 28 सितम्बर की रात में लक्षित हमला किया। सेना ने कहा कि हमले में ‘बड़ी संख्या में’ आतंकवादी और उनके सहयोगी हताहत हुए हैं। लक्षित हमला कश्मीर के उरी में सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले के 11 दिन बाद किया गया था। सिंह ने कहा, ‘लक्षित हमले के जरिये हमने विश्व को एक संदेश दिया कि हम कमजोर नहीं बल्कि एक मजबूत देश हैं।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आतंकवाद से निपटने में कठोर हैं और लक्षित हमला इसकी पुष्टि करता है। सिंह ने याद किया कि 2014 में उन्होंने बीएसएफ से स्वयं कहा था कि सीमापार से पाकिस्तान की गोलीबारी का जवाब देते समय ‘गोलियां नहीं गिने।’
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इंफाल: मणिपुर विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी इरोम शर्मिला ने आज कहा कि उन्होंने विवादित सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्सपा) के खिलाफ अपनी लड़ाई छोड़ी नहीं है बल्कि अपनी रणनीति में तब्दीली की है। इरोम ने कहा कि लोगों का एक तबका सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्सपा) के खिलाफ 16 साल लंबे अनशन के दौरान उनकी शाहदत चाहता था। इस अनशन को उन्होंने पिछले साल खत्म करने का फैसला किया। उन्होंने पीपल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस एलांयस (पीआरजेए) का गठन किया और मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिसका एक मात्र एजेंडा मणिपुर से अफस्पा को हटाना है। उन्होंने कहा, ‘अगर हममें से कोई जीतता है तो हम विधानसभा में लोगों की आवाज होंगे और सदन पर अफस्पा पर सवाल करेंगे।’ उनसे पूछा गया था कि उनकी पार्टी पीआरजेए ने सिर्फ तीन उम्मीदवार ही क्यों उतारें हैं और अगर वे जीतते हैं तो क्या वे 60 सदस्यीय विधानसभा में अहम भूमिका निभा सकते हैं? इरोम थोबल सीट से मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और भाजपा के एल बशंता सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में है। उनसे पूछा गया कि अगर पीआरजेए के हाथ सफलता नहीं लगी तो वह क्या करेंगे तो इरोम ने कहा, ‘भले ही हम नाकामयाब हो जाएं। हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। हम राजनीति में रहेंगे और अगला संसदीय चुनाव लड़ेंगे।’
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इंफाल: केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज कहा है कि मणिपुर में आर्थिक नाकेबंदी ‘कांग्रेस का खेल’ है और वह इसे सुलझाने के लिए गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि राजमार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भेजे गए केंद्रीय बलों को मुख्यमंत्री बैरकों में ही रखे हुए हैं। कांग्रेस ने नाकेबंदी का आह्वान करने वाले समूहों के साथ भाजपा की सांठ-गांठ होने का जो आरोप लगाया था, उसे खारिज करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि आर्थिक नाकेबंदी दरअसल ‘कांग्रेस का खेल’ है। मणिपुर में भाजपा के प्रभारी जावड़ेकर ने कहा, ‘मणिपुर के मुख्यमंत्री और कांग्रेस सरकार बहुत अच्छी तरह से जानती है कि वे चुनाव में हार जाएंगे और तभी उन्होंने नाकेबंदी का सहारा लिया है। कांग्रेस की योजना सत्ता से धन जुटाने और धन से सत्ता हासिल करने की है।’ मानव संसाधन विकास मंत्री ने दावा किया, ‘नाकेबंदी से पहले भाजपा के पक्ष में समर्थन था और तभी कांग्रेस ने एक अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की मदद ली। यह नाकेबंदी कांग्रेसी शासन द्वारा, कांग्रेसी शासन की और कांग्रेसी शासन के लिए है।’ जावड़ेकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य को केंद्रीय अर्धसैन्य बलों की 175 कंपनियां उपलब्ध करवाई थीं लेकिन मुख्यमंत्री उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे और उन्हें बैरकों में रखे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार ने ये बल उपलब्ध करवाए थे, जो स्थिति को काबू में लाने के लिए मुख्यमंत्री के आदेशों का इंतजार कर रहे हैं।
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