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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि राज्यपाल के सीएम को बहुमत दिखाने के लिए कहने में कोई बाधा नहीं है, अगर उनके पास ऐसा करने के लिए अच्छे कारण हैं तो। राज्यपाल इस शक्ति का प्रयोग चल रही विधानसभा में भी कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता कमलनाथ और मध्य प्रदेश की कांग्रेस की उस दलील को भी खारिज कर दी, जिसमें उनका कहना कि राज्यपाल चल रही विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए नहीं कह सकते। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मध्य प्रदेश में राज्यपाल का फ्लोर टेस्ट का आदेश बिलकुल सही था। कोर्ट ने कांग्रेस की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी के इस तर्क को मंजूर नहीं किया कि राज्यपाल आदेश पारित नहीं कर सकते।

कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल स्वयं कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं. राज्यपाल एक फ्लोर टेस्ट बुला रहे हैं। सदन में दो तौर-तरीके होते हैं- अविश्वास प्रस्ताव या फ्लोर टेस्ट। फ्लोर टेस्ट क्यों जरूरी है, इस पर एसआर बोम्मई मामले के बाद से कोई फैसला नहीं हुआ है। इसमें राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति का प्रयोग किया है। बोम्मई ने दिखाया है कि विश्वास मत को एक विधानसभा में रखा जा सकता है।

भोपाल: कोरोना वायरस का कहर पूरे भारत में जारी है। मध्य प्रदेश में भी कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है और यह आंकड़ा 500 पार कर गया है। इस बीच मध्य प्रदेश में कोरोना पर सियासत भी तेज हो गई है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि राज्य में कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए संसद की कार्यवाही चलाई गई और भाजपा की सरकार बनाने के लिए लॉकडाउन के एलान में केंद्र ने देरी की।

रविवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस चीफ कमलनाथ ने कहा कि संसद केवल इसलिए चलाई गई ताकि मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही चलती रहे और कांग्रेस सरकार गिराई जा सके। शिवराज सिंह के शपथ के बाद ही लॉकडाउन का एलान किया गया। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा मध्य प्रदेश के लोगों को बेवकूफ बना रही है क्योंकि इतने गंभीर संकट में भी राज्य में न कोई मंत्रिमंडल है, न ही कोई स्वास्थ्य मंत्री या गृह मंत्री है। कमलनाथ ने कहा, 'मैंने 20 मार्च को इस्तीफा दिया, मगर लॉकडाउन का एलान तब हुआ जब 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।'

भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भाजपा सांसदों और विधायकों के साथ ऑडियो ब्रिज में कहा कि राज्य में कोरोना की स्थिति सुधर रही थी, लेकिन तबलीग़ी जमात के लोगों ने इस संक्रमण को फैला दिया। राज्य में अब जो नए कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर जमात के ही लोग हैं। सीएम ने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए हमारे डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी, पार्टी कार्यकर्ता सभी डटे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग में हमारे कई अफसर, स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मी संक्रमित हो गए हैं, लेकिन किसी का भी मनोबल टूटा नहीं है। मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन के बढ़ने के संकेत दिए और कहा कि यह 14 अप्रैल के बाद भी बढ़ सकता है, लेकिन कुछ जरूरी रियायतों पर विचार हो रहा हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों से बात करने वाले हैं, इसके बाद ही कुछ फैसला किया जाएगा।

भोपाल/इंदौर: मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और इसी के मद्देनजर सीएम शिवराज सिंह ने प्रदेश के 15 जिलों में कोरोना हॉटस्पॉट को सील करने का आदेश दिया है। प्रदेश में लगातार मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। आज इंदौर में दो और लोगों की मौत हुई है और सिर्फ इसी शहर में मौत का आंकड़ा 23 पहुंच गया है। इस बीच मध्यप्रदेश सरकार ने घर से बाहर जाने वालों के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया है।

इंदौर, भोपाल और उज्जैन पूरी तरह सील

मध्यप्रदेश में इंदौर, भोपाल और उज्जैन, इन तीनों बड़े शहरों को पूरी तरह से सील किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कहा कि इन तीनों शहरों में कोरोना के सबसे अधिक मामले आए हैं। इसलिए इन्हें पूरी तरह से बंद किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन से इन जगहों पर जरूरी सामानों की सप्लाई की सुविधा मुहैया करवाने के भी निर्देश दिए हैं। वहीं उन्होंने इन शहरों से किसी के भी आने-जाने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी है।

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