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मुंबई: शिवसेना ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा अब अयोध्या में विवादित राम मंदिर बनाने की अपनी योजनाओं पर आगे बढ़ सकती है, क्योंकि देश में अभी ऐसा सामाजिक-राजनीतिक माहौल है कि मुस्लिम भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पक्ष लेंगे। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में लिखा, 'पिछले 25 साल में देश में राजनीति बदल गई है। (भाजपा के वरिष्ठ नेता) लाल कृष्ण आडवाणी अब मार्गदर्शक मंडल में हैं जबकि देश पर पीएम मोदी का शासन है। इसलिए, राम मंदिर अब बनाया जाना चाहिए और इसके लिए उच्चतम न्यायालय के नहीं, मोदी के निर्देश की जरूरत है'। पार्टी ने कहा, 'भाजपा को उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत मिली जो दिखाता है कि लोगों की आकांक्षा है कि राम मंदिर बने। लोग आस्था के नाम पर ऐसा चाहते हैं और इसलिए उच्चतम न्यायालय को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए। आज पूरा देश मोदी की बातें सुनता है और माहौल ऐसा है कि मुस्लिम भी उनकी बातें सुनेंगे'। शिवसेना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर एक स्पष्ट फैसला दे सकता है। पार्टी की तरफ से आगे कहा गया कि 'बहरहाल, यदि अदालत के बाहर मामला सुलझाना है तो अन्ना हजारे, बाबा रामदेव या आडवाणी जैसे लोगों द्वारा ऐसा किया जा सकता है।

मुंबई: महाराष्ट्र के विभिन्न अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने निलंबन और तनख्वाह काटे जाने की चेतावनी से बेफिक्र आज (गुरूवार) चौथे दिन भी अपनी हड़ताल जारी रखी। राज्य के करीब 4,000 डॉक्टर सोमवार से हड़ताल पर हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा उन पर हमले किए जाने की घटनाओं के मद्देनजर डॉक्टरों की मांग है कि उनकी सुरक्षा में इजाफा किया जाए। प्रदर्शन से विभिन्न अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बाधित हुई हैं। कल रात यहां के निगम संचालित सायन अस्पताल की एक महिला डॉक्टर की एक मरीज के रिश्तेदारों ने कथित तौर पर पिटाई कर दी जिसने डॉक्टरों के प्रदर्शन को और आक्रमक बना दिया। मुंबई के नगर संचालित केईएम अस्पताल ने उन डॉक्टरों को निलंबित करना शुरू कर दिया है जिन्होंने चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन के कल शाम तक काम पर लौटने के लिए कहने के बावजूद ड्यूटी पर रिपोर्ट नहीं की। महाजन ने प्रदर्शनकारी रेजिडेंट डॉक्टरों को चेतावनी दी थी कि अगर डॉक्टरों ने कल रात आठ बजे तक काम शुरू नहीं किया तो उन्हें छह महीने के वेतन का नुकसान होगा और निलंबन का सामना करना पड़ेगा। बंबई हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका के दौरान डॉक्टरों को फटकार लगाई थी। वह आज फिर मामले की सुनवाई करेगा।

मुंबई: एक बार फिर भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने ‘‘धार्मिक कर्तव्यों’’ का पालन करने से ज्यादा सुशासन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। शिवसेना ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का प्रशासन मठ चलाने जितना आसान नहीं है।’’ गौरतलब है कि शिवसेना केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकारों में साझेदार है, लेकिन फिर भी अक्सर भाजपा पर हमले बोलती है। उत्तर प्रदेश में दो उप-मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति के मुद्दे पर भी अपनी सहयोगी पार्टी को आड़े हाथ लेते हुए शिवसेना ने कहा कि इस कदम का मकसद आदित्यनाथ को ‘‘अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए स्वतंत्र रखना है।’’ शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा, ‘‘उत्तर प्रदेश में दो उप-मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की गई है, जबकि महाराष्ट्र के लिए भाजपा ने कहा था कि उप-मुख्यमंत्री की नियुक्ति उनकी नीति के विपरीत है जम्मू-कश्मीर में उप-मुख्यमंत्री का पद पाने के लिए वे पीडीपी की महबूबा मुफ्ती के साथ मिल गए।’’ गौरतलब है कि 2014 में भाजपा ने महाराष्ट्र में शिवसेना को उप-मुख्यमंत्री का पद देने से इनकार कर दिया था। संपादकीय में आगे लिखा गया, ‘‘उत्तर प्रदेश में दो उप-मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति करके योगी आदित्यनाथ को अपने धार्मिक कर्तव्यों के पालन के लिए स्वतंत्र कर दिया गया है।’’

मुंबई: बंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों के हड़ताली रेजिडेंट चिकित्सकों की खिंचाई करते हुए मंगलवार को कहा कि उनका व्यवहार ‘‘शर्मनाक’’ है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में चार हजार से अधिक रेजिडेंट चिकित्सक सोमवार (20 मार्च) से हड़ताल पर हैं। वे हाल में अपने साथियों पर रोगियों के रिश्तेदारों के हमले के विरोध में काम पर नहीं आ रहे हैं। चिकित्सक अस्पताल में अपने लिए बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ सामाजिक कार्यकर्ता अफाक मांडवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने उन्होंने आंदोलनरत चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, ‘‘अगर आप (चिकित्सक) काम नहीं करना चाहते हैं तो इस्तीफा दे दीजिए। आप फैक्टरी के कामगार नहीं है कि इस तरह का प्रदर्शन करेंगे. आपके लिए शर्मनाक. चिकित्सक इस तरह से कैसे व्यवहार कर सकते हैं?’’ द महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) ने पीठ से कहा कि उसने हड़ताल का आह्वान नहीं किया है और इसने सभी चिकित्सकों से काम पर आने के लिए कहा है। याचिकाकर्ताओं के वकील दत्ता माने ने अदालत से कहा कि एमएआरडी ने पिछले वर्ष हाई कोर्ट को आश्वासन दिया था कि भविष्य में वह हड़ताल का आह्वान नहीं करेगा या हड़ताल पर नहीं जाएगा और सभी विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करेगा।

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