नई दिल्ली: महाराष्ट्र में 30 जून को फ्लोर टेस्ट कराने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई शुरू हुई। शिवसेना की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस शुरू की। सिंघवी ने कहा, नेता विपक्ष रात को दस बजे राज्यपाल से मिलने गए और फिर कल 11 बजे के लिए फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया गया। सिंघवी ने कहा, ये सुपरसोनिक स्पीड से आदेश दिया गया। कांग्रेस के दो विधायक देश से बाहर हैं और 2 एनसीपी के विधायक कोरोना से ग्रसित है। इस मामले में राज्यपाल ने बहुत तेजी से काम किया। 24 घंटे में बहुमत परीक्षण के लिए कहा गया है।
सिंघवी बोले, गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को पता था कि मामला सुप्रीम कोर्ट के पास है। मान लीजिए 11 जुलाई को कोर्ट विधायकों की याचिका खारिज कर देता है और 2 दिनों में स्पीकर अयोग्यता का फैसला देता है। ऐसे में क्या वो कल वोट दे सकते है? यह मामला सीधे तौर पर अयोग्यता से जुड़ा है। सिंघवी ने कहा, अगर कल महाराष्ट्र विधानसभा में शक्ति परीक्षण नहीं होता है तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा।
शिंदे गुट की ओर से वकील नीरज कौल ने सुप्रीम कोर्ट में बात रखी। उन्होंने कहा, शक्ति परीक्षण रोका नहीं जा सकता, हॉर्स ट्रेडिंग रोकने के लिए जल्द ही होना चाहिए। फ्लोर टेस्ट अयोग्यता के किसी लंबित मामले पर निर्भर नहीं करता है। जिस मुख्यमंत्री को बहुमत का भरोसा हो, वह फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए तत्पर रहता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ही पहले के फैसलों में कहा है कि यदि मुख्यमंत्री अनिच्छुक दिखे, तो लगता है कि वह जानता है, वह हारने वाला है। शिंदे गुट के वकील नीरज कौल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा, फ्लोर टेस्ट को रोका नही जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए जल्दी से जल्दी फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही है। कौल ने कहा, 16 विधायकों की अयोग्यता का मामला डिप्टी स्पीकर के पास लंबित है ये दूसरे पक्ष की दलील है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले कहते हैं कि इससे फ्लोर टेस्ट पर कोई प्रभाव नही पड़ता है।