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मुंबई: महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच कांग्रेस और राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने अपने-अपने विधायकों की बैठक आयोजित की। बैठक के बाद जहां कांग्रेस ने शिवसेना को बाहर से समर्थन देने का एलान किया। वहीं एनसीपी ने आखिरी वक्त तक उद्धव ठाकरे के साथ खड़े रहने की बात कही। दरअसल, कांग्रेस और एनसीपी सूबे में भाजपा को रोकने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस की बैठक सहयाद्रि गेस्ट हाउस में आहूत की गई। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कांग्रेस की अहम बैठक के बाद कहा, अगर शिवसेना चाहेगी तो कांग्रेस बाहर से भी शिवसेना को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि ये महाभारत भाजपा ने शुरू की है, वह चुप क्यूँ बैठी है? भाजपा ईडी के ज़रिए अस्थिरता लेकर आयी है, लेकिन चुप क्यूँ है? उन्होंने कहा कि भाजपा अपनी भूमिका पर जवाब दे… ये कांग्रेस पूछती है। एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि संजय राउत के बयान पर हमने कोई चर्चा नहीं की। वहीं अशोक चव्हाण ने कहा, 2019 में जिन शर्तों पर महा विकास अघाड़ी का निर्माण हुआ, कांग्रेस उन्हीं शर्तों के साथ क़ायम है।

आखिरी वक्त तक उद्धव ठाकरे के साथ खड़े रहेंगेः अजीत पवार

जबकि एनसीपी की बैठक, पार्टी अध्‍यक्ष शरद पवार की अगुवाई में वाईबी चव्‍हाण सेंटर में हुई। बैठक के बाद राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) एवं उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि हम आखिरी वक्त तक उद्धव ठाकरे के साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने बताया, मीटिंग में तय हुआ कि तीनों पार्टियां मिलकर काम करेंगी और हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। यह बात पवार एनसीपी विधायक दल की बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में कही। साथ पवार ने कहा यह शिवसेना का अंदरूनी मामला है। बगावत में भाजपा की भूमिका पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसा दिखायी नहीं दिया। पार्टी में कभी न कभी मतभेद हो जाते हैं। ये तो तीन पार्टियां हैं। इसमें रास्ता भी निकल सकता है।

उन्होंने कहा​ कि गठबंधन में दो पार्टियों सेक्युलर विचारधारा की हैं और तीसरी शिवसेना है। लेकिन हम राज्य के विकास के मुद्दे पर काम करते हैं। उन्होंने कहा, ढाई साल हो गया। दो साल कोरोना ही था। पूरे देश में सबसे अच्छे मुख्यमंत्रियों में पहले पांच में उद्धव ठाकरे का नाम आता था।

अजीत पवार ने कहा कि सराकर बचाने की जिम्मेदारी तीनों पार्टियों की है और हम कोशिश में लगे रहेंगे। संजय राउत के गठबंधन तोड़ने वाले बयान पर कहा, उन्होंने ऐसा क्यों कहा मुझे नहीं पता। एनसीपी पर अगर कोई आरोप लगते हैं तो वे बेबुनियाद हैं। हमने कभी किसी काम में अड़ंगा नहीं लगाया।

एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि एनसीपी के सभी विधायक हमारे साथ हैं। हम सरकार को बचाने की पूरी कोशिश करेंगे।

एनसीपी की बैठक के लिए अजित पवार, जयंत पाटिल, राजेश टोपे, राजेन्द्र शिंगने, दत्तात्रय भरने, दिलीप वलसे पाटिल, हसन मुशरिफ, धनंजय मुंडे और अन्य विधायक पहुंचे। महा विकास अघाड़ी गठबंधन से निकलने पर विचार के शिवसेना सांसद संजय राउत के बयान के बीच कांग्रेस और एनसीपी की बैठकें आयोजित की गईं।

इससे पहले कांग्रेस ने शिवसेना में अंदरूनी बगावत को देखते हुए यह कहा था कि अगर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो उसे एतराज नहीं है। एनसीपी की ओर से भी ऐसा ही कहा गया था, हालांकि राउत के बयान से सियासी खलबली मच गई है। राउत ने विधायकों से 24 घंटे के भीतर वापस लौटने को कहा है। कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट, नाना पटोले औऱ अशोक चह्वाण आदि नेता इस बैठक में हिस्सा लिया। उल्लेखनीय है कि महा विकास अघाड़ी में शिवसेना, एनसीपी औऱ कांग्रेस साझेदार हैं। कांग्रेस के पास करीब 43 विधायक हैं। कांग्रेस विधायक दल की इस बैठक में सरकार के भविष्य को लेकर अहम चर्चा होने की उम्मीद है।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने जहां बयान दिया कि ज़रूरत पड़ने पर वो महा विकास आघाडी से बाहर निकलेंगे, तो वहीं दूसरी ओर एनसीपी नेता और कैबिनेट मंत्री जयंत पाटिल ने ट्वीट कर कहा कि महा विकास आघाडी की स्थापना महाराष्ट्र के विकास और कल्याण के लिए किया गया है। हम उद्धव ठाकरे के साथ अंतिम क्षण तक मजबूती से खड़े रहेंगे। बाला साहेब ठाकरे के विचारों को ठेस पहुंचे ऐसा कोई काम कोई भी शिवसैनिक नहीं करेगा ऐसा मुझे विश्वास है।

ऐसे में संजय राउत के बयान से गठबंधन के बीच भी अलग-अलग बातें सामने आने लगी हैं। अभी तक कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना की बगावत को थामने के लिए हरसंभव जतन कर रहे हैं।

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि संजय राउत से उनकी बात हुई है। खड़गे ने कहा, मेरी संजय राऊत से बात हुई है...तीनों पार्टियां एक साथ है, हम संघर्ष करेंगे। महाराष्ट्र के विकास के लिए महा विकास आघाडी का गठन हुआ था। हमें उम्मीद है कि सरकार रहेगी और बागी विधायक वापस आएंगे। भाजपा सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है जैसा उन्होंने कर्नाटक और मणिपुर जैसे राज्यों में किया था। राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और सरकार को वोट चाहिए संख्या पूरा करने के लिए।

 

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