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मुंबई: महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिराह के दौरान हुई हिंसा की आग मुंबई समेत राज्य के कई शहरों में फैल गई। इसे लेकर बाबा साहेब बीआर अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने हिंसा रोकने में सरकार की विफलता के खिलाफ बुधवार को जारी एक दिन का बंद वापस ले लिया है।

गौरतलब है कि 63 साल के प्रकाश अंबेडकर द्वारा घोषित किए गए बंद के आह्वान को 250 से अधिक दलित संगठनों का समर्थन था। भारिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश अंबेडकर ने आज कहा कि भीमा कोरेगांव लड़ाई के स्मृति कार्यक्रम के खिलाफ हुई हिंसा के विरोध में विभिन्न दलित एवं अन्य संगठनों द्वारा बुलाया गया दिनभर का महाराष्ट्र बंद वापस ले लिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य की करीब 50 फीसद लोगों ने इस बंद में हिस्सा लिया।

इससे पहले दलितों के प्रदर्शन के कारण मुंबई के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। आज सुबह से ही महाराष्ट्र, मुंबई, पुणे के ठाणे में बंद का असर दिखने लगा है। इस बंद से सबसे ज्यादा स्कूल और कॉलेज प्रभावित हो रहे हैं। मुंबई के सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

आज मुंबई की सभी लोकल ट्रेनें बंद हैं और बसें भी नहीं चल रही हैं। महाराष्ट्र में लोकल ट्रेन के सामने लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। महाराष्ट्र के ठाणे में 4 जनवरी देर रात तक 144 धारा लागू रहेगी।

क्या है मामला

भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर 1 जनवरी को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दो गुटों में भड़की हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी। जिसके बाद ये हिंसा और भड़क गई। मुंबई, पुणे और महाराष्ट्र के कई और शहरों में तनाव फैल गया। पुणे में सोमवार को भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह पर हुई हिंसा की आग मंगलवार को राज्य के कई हिस्सों में फैल गई। मुंबई, औरंगाबाद ,अहमदनगर सहित तमाम शहरों में दलित संगठनों ने उग्र प्रदर्शन किया।

पुलिस प्रशासन ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने सड़क मार्ग और रेलमार्ग को बाधित कर दिया। करीब 160 बसों में तोड़फोड़ की गई है। शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा में सात पुलिसकर्मी चोटिल हुए हैं। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ने वाली हार्बर लाइन को बाधित कर दिया गया।

मंगलवार सुबह ही प्रदर्शनकारियों के कई मुंबई के पूर्वी उपनगरों चेम्बूर, विक्रोली, मानखुर्द और गोवंडी, रमाबाई अंबेडकर नगर में दुकानों को जबरन बंद कराने की कोशिश की और बसों पर पत्थरबाजी की। एक चश्मदीद ने बताया कि सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी प्रियदर्शनी, कुर्ला, सिद्धार्थ कॉलोनी और अमर महल इलाके में ईस्टर्न एक्सप्रेस वे पर जुटे और सरकार व प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। शाम को हिंसा ने बचने के लिए ठाणे के गोवभंडर के कारोबारियों ने खुद ही अपनी दुकानें बंद कर दी।

मुंबई पुलिस के मुताबिक, हालात को काबू में करने के लिए केंद्रीय बलों की 400 अतिरिक्त कंपनियां चेंबूर सहित मुंबई के संवेदनशील इलाकों में तैनात की गई है। करीब 100 प्रदर्शन कारियों को हिरासत में लिया गया है।

यातायात बाधित

प्रदर्शन के चलते मध्य रेलवे ने हार्बर लाइन पर कुर्ला से वाशी के बीच उपनगरीय रेल सेवा स्थगित कर दी। यह जानकारी मध्स रेलवे के जनमसंपर्क अधिकारी सुनील उदासी ने दी है। इसके साथ ही पुणे से अहमदनगर और औरंगाबाद जाने वाली राज्य परिवहन की बसे रद्द कर दी गई हैं। ईस्टर्न एक्सप्रेसवे बाधित होने की वजह से ट्रैफिक पुलिस ने कई रास्ते बदले हैं।

कई जिलों में धारा 144

प्रशासन ने हालात को काबू में लाने और अफवाहों को रोकने के लिए औरंगाबाद, पुणे और मुंबई के पूर्वी उपनगरीय इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है। पुलिस ने बताया कि स्थिति सामान्य होने तक अधिसूचित इलाकों में निषेधाज्ञा लागू रहेगी।

पुणे से लगी हिंसा की आग

हिंसा की शुरुआत पुणे के कोरेगांव-भीमा से सोमवार को तब शुरू हुई, जब कुछ दलित संगठनों ने 1 जनवरी 1818 में यहां पर ब्रिटिश सेना और पेशवा के बीच हुए युद्ध की वर्षगांठ मनाने जुटे। इस युद्ध में पेशवा की हार हुई थी। जबकि जिस ब्रिटिश सेना ने उन्हें हराया उसमें अधिकतर दलित महार जाति के जवान थे। दलित संगठनों के कार्यकर्ता इस युद्ध की याद में अंग्रेजों द्वारा बनाए विजयस्तंभ के पास एकत्र थे। तभी दक्षिणपंथी संगठनों ने पत्थरबाजी कर दी। इस हिंसा में नानदेड़ के रहने वाले 28 वर्षीय राहुल फंतागले की मौत हो गई। जबकि 50 से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।

पुणे कांड में दो लोगों पर मुकदमा

पुणे पुलिस ने सोमवार को भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के सिलसिले में दो लोगों पर पीम्परी थाने में मुकदमा दर्ज किया है। पीम्परी पुलिस ने बताया कि हिंदू एकता अगड़ी के नेता मिलिंद एकबोटे और शिवराज प्रतिष्ठान के संभाजी भिड़े को नामजद किया गया है। पुणे के पुलिस उपायुक्त गणेश शिंदे ने इसकी पुष्टि की है। बता दें कि इन्हीं दो संगठनों ने भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह समारोह का विरोध किया था।

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