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कोटा: राजस्थान के कोटा शहर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया. भाजपा कार्यकर्ता हेलमेट न लगाने वालों का चालान काट रहे पुलिसकर्मियों का विरोध करने महावीर नगर पुलिस थाने तक जा पहुंचे.कार्यकर्ताओं के साथ कोटा से विधायक चंद्रकांता मेघवाल के पति नरेंद्र मेघवाल भी शामिल थे। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच तक़रार बढ़ गई और हंगामा होने लगा, जिसके बाद पुलिस को सख्ती करनी पड़ी। वहीं सरकार की तरफ से मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कहा है कि किसी को भी कानून को अपने हाथों में लेने का अधिकार नहीं है।.मामले की जांच कराकर दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, पुलिसवाले हेलमेट न पहनने को लेकर चालान कर रहे थे। सुनने में आया है कि पुलिसवालों ने किसी भाजपा कार्यकर्ता का भी चालान किया, जिसे लेकर विधायक के पति नरेंद्र मेघवाल और अन्य भाजपा कार्यकर्ता थाने में हंगामा करने पहुंच गए। हंगामा बढ़ने लगा तो नरेंद्र मेघवाल सीआई को थप्पड़ मार दिया, जिसके बाद बवाल मच गया। पत्थर बाजी और लाठीचार्ज शुरू हो गया। सूचना मिलने पर सीनियर अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने थाना अधिकारी और तीन अन्य को लाइन हाजिर कर दिया और विधायक के पति और अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई।

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट के द्वारा आरक्षण रद्द करने के दो महीने बाद गुर्जर नेताओं ने आंदोलन करने की चेतावनी दी है। सरकार की तरफ से कोई कारगर कानूनी कदम नहीं उठाने से गुर्जर एक बार फिर सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं। गुर्जर संघर्ष समिति के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने 25 फरवरी को करौली जिले के गुडला में समाज की महापंचायत बुलाई है। इसमें ही आंदोलन की रणनीति तैयार करने का ऐलान किया गया है। बैंसला द्वारा ये मांग रखी गई है कि 50 प्रतिशत के बाहर गुर्जरों को आरक्षण दिलाया जाएं और इसके लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी पैरवी कराएं। बैंसला और उनके साथियों ने आरक्षण मुद्दे पर मंत्रिमंडल की उप समिति की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इस बैठक में गुर्जर नेताओं को भी बुलाया गया था। संघर्ष समिति के नेताओं का कहना है कि गुर्जर आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को भी सरकार ने वापस नहीं लिया है। सरकार ने इन्हें वापस लेने का भी समझौता किया था। कोटा जिले के रामगंजमंडी में 18 गुर्जर आंदोलनकारियों को 5-5 साल की सजा हो गई। दूसरी तरफ यहां शासन सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की उप समिति की बैठक में फैसला किया गया कि विशेष पिछड़ा वर्ग की भर्तियों के लिए कानूनी राय लेकर सरकार फैसला करेगी। इसमें आरक्षण निरस्त होने के पहले और बाद के बारे में कानूनी राय ली जाएगी। बैठक की अध्यक्षता ग्रामीण विकास मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने की।

जयपुर: बांग्लादेश की लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने सोमवार को समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि लोगों को अपने अधिकार दिलाने के लिए यह कदम ‘तुरंत’ उठाने की जरूरत है। जयपुर साहित्य उत्सव के एक सत्र में लेखिका ने कहा कि इस्लामिक समाज को प्रगति करने के लिए आलोचनाओं के प्रति ज्यादा सहिष्णु होना चाहिए। कट्टरपंथियों के निशाने पर आने के बाद से वह 1994 से निर्वासन में रह रही हैं। उन्होंने कहा, ‘इस्लामिक समाज के लिए सहिष्णु बनना आवश्यक है और आलोचनाओं को स्वीकार किए बगैर प्रगति नहीं हो सकती। लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समान नागरिक संहिता अत्यंत आवश्यक है।’ लेखिका ने धार्मिक कट्टरपंथियों की आलोचना करते हुए कहा कि वह ‘राष्ट्रवाद’ या ‘धार्मिक कट्टरता’ जैसे शब्दों पर विश्वास नहीं करतीं। उन्होंने कहा, ‘मैं राष्ट्रवाद, धार्मिक कट्टरपंथ में विश्वास नहीं करती। मैं एक विश्व में विश्वास करती हूं। मैं अधिकारों, स्वतंत्रता, मानवता और समानता में विश्वास करती हूं। जब तक इस्लाम आलोचनाओं को स्वीकार नहीं करता तब तक किसी भी इसलामिक देश को धर्मनिरपेक्ष नहीं माना जा सकता।

जयपुर: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महात्मा गांधी के बारे में सिर्फ बातें करते हैं और राष्ट्रपिता के प्रति ‘काफी नफरत रखने वाले’ बुद्धिजीवी (सत्तारूढ पार्टी के) अब बापू का नायक के तौर पर सराहना कर रहे हैं। उन्होंने जयपुर साहित्य उत्सव में यहां कहा, ‘महात्मा गांधी पर जुबानी जमा खर्च करना सबसे आसान है। भाजपा सांसद साक्षी महाराज एक उदाहरण हैं, जिन्होंने नाथूराम गोडसे की मूर्ति बनाने की मांग की जबकि सरकार राजनीतिक और सामाजिक जीवन के ज्यादातर क्षेत्र में गांधी को प्रतीक के तौर पर अपना रही है।’ थरूर ने कहा, ‘स्कूलों में रामायण और महाभारत उसी तरह से पढ़ाया जाना चाहिए, जिस तरह से इलियाड (प्राचीन यूनानी महाकाव्य) और ओडेसी (यूनानी योद्धा ओडीसियस की 10 वर्षीय यात्रा पर आधारित महाकाव्य) पढ़ाया जाता है। लेकिन मैं हमारी शिक्षा प्रणाली में राजनीतिक विचारधारा को शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं हूं।’ भारत में शिक्षा पर ब्रिटेन की विरासत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के स्कूलों और कॉलेजों में शेक्सपियर की रचनाएं पढ़ाई जाती हैं लेकिन कालिदास की रचनाओं को पढ़ाने पर जोर नहीं दिया जाता। थरूर ने ‘रिमेम्बरिंग द राज’ पर एक सत्र में यह बात कही। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन का इरादा भारतीयों को रेलवे, अंग्रेजी भाषा, क्रिकेट और राजनीतिक लोकतंत्र से फायदा पहुंचाना नहीं था बल्कि ब्रिटिश हितों को पूरा करने के लिए इन्हें यहां लाया गया था।

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