जयपुर: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महात्मा गांधी के बारे में सिर्फ बातें करते हैं और राष्ट्रपिता के प्रति ‘काफी नफरत रखने वाले’ बुद्धिजीवी (सत्तारूढ पार्टी के) अब बापू का नायक के तौर पर सराहना कर रहे हैं। उन्होंने जयपुर साहित्य उत्सव में यहां कहा, ‘महात्मा गांधी पर जुबानी जमा खर्च करना सबसे आसान है। भाजपा सांसद साक्षी महाराज एक उदाहरण हैं, जिन्होंने नाथूराम गोडसे की मूर्ति बनाने की मांग की जबकि सरकार राजनीतिक और सामाजिक जीवन के ज्यादातर क्षेत्र में गांधी को प्रतीक के तौर पर अपना रही है।’ थरूर ने कहा, ‘स्कूलों में रामायण और महाभारत उसी तरह से पढ़ाया जाना चाहिए, जिस तरह से इलियाड (प्राचीन यूनानी महाकाव्य) और ओडेसी (यूनानी योद्धा ओडीसियस की 10 वर्षीय यात्रा पर आधारित महाकाव्य) पढ़ाया जाता है। लेकिन मैं हमारी शिक्षा प्रणाली में राजनीतिक विचारधारा को शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं हूं।’ भारत में शिक्षा पर ब्रिटेन की विरासत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के स्कूलों और कॉलेजों में शेक्सपियर की रचनाएं पढ़ाई जाती हैं लेकिन कालिदास की रचनाओं को पढ़ाने पर जोर नहीं दिया जाता। थरूर ने ‘रिमेम्बरिंग द राज’ पर एक सत्र में यह बात कही। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन का इरादा भारतीयों को रेलवे, अंग्रेजी भाषा, क्रिकेट और राजनीतिक लोकतंत्र से फायदा पहुंचाना नहीं था बल्कि ब्रिटिश हितों को पूरा करने के लिए इन्हें यहां लाया गया था।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश नीति और चर्चिल के चलते 3.5 करोड़ से अधिक लोगों की अनावश्यक मौत हुई।