जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट के द्वारा आरक्षण रद्द करने के दो महीने बाद गुर्जर नेताओं ने आंदोलन करने की चेतावनी दी है। सरकार की तरफ से कोई कारगर कानूनी कदम नहीं उठाने से गुर्जर एक बार फिर सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं। गुर्जर संघर्ष समिति के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने 25 फरवरी को करौली जिले के गुडला में समाज की महापंचायत बुलाई है। इसमें ही आंदोलन की रणनीति तैयार करने का ऐलान किया गया है। बैंसला द्वारा ये मांग रखी गई है कि 50 प्रतिशत के बाहर गुर्जरों को आरक्षण दिलाया जाएं और इसके लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी पैरवी कराएं। बैंसला और उनके साथियों ने आरक्षण मुद्दे पर मंत्रिमंडल की उप समिति की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इस बैठक में गुर्जर नेताओं को भी बुलाया गया था। संघर्ष समिति के नेताओं का कहना है कि गुर्जर आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को भी सरकार ने वापस नहीं लिया है। सरकार ने इन्हें वापस लेने का भी समझौता किया था। कोटा जिले के रामगंजमंडी में 18 गुर्जर आंदोलनकारियों को 5-5 साल की सजा हो गई। दूसरी तरफ यहां शासन सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की उप समिति की बैठक में फैसला किया गया कि विशेष पिछड़ा वर्ग की भर्तियों के लिए कानूनी राय लेकर सरकार फैसला करेगी। इसमें आरक्षण निरस्त होने के पहले और बाद के बारे में कानूनी राय ली जाएगी। बैठक की अध्यक्षता ग्रामीण विकास मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने की।
राठौड़ ने बताया कि विशेष पिछड़ा वर्ग के पांच फीसद आरक्षण को फिर से स्थापित करने के लिए सरकार पूरे प्रयास कर रही है। गुर्जरों का विशेष पिछड़ा वर्ग का आरक्षण निरस्त होने के बाद उनकी स्थिति सामान्य वर्ग की हो गई है। बीजेपी सरकार ने गुर्जर और चार अन्य समुदायों को स्पेशल बैकवर्ड क्लासेज के जरिए सरकारी नौकरियों में पांच प्रतिशत कोटा दिया था। सरकार के इस फैसले को राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में रद्द कर दिया था क्योंकि इसके कारण कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा हो गया था। कोर्ट ने कहा था कि इन पांच समाजों के पिछड़ेपन को लेकर आंकड़े सही रूप से एकत्रित नहीं किए गए थे। पहले गुर्जर और दूसरी जातों को अन्य पिछड़ा वर्ग की कैटेगरी के तहत आरक्षण दिया गया था लेकिन 2015 में सरकार ने इन जातियों को स्पेशल बैकवर्ड क्लासेज के अंदर रखा था और इस बात को सुनिश्चित किया था कि उन्हें पांच फीसदी आरक्षण का लाभ मिले। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, ये जाति किसी दूसरी श्रेणी में आरक्षण का लाभ नहीं पा सकती हैं। गौरतलब है कि गुर्जर आरक्षण के लिए पहले भी उग्र आंदोलन कर चुके है जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी।