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जयपुर: राजस्थान के धौलपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिये आज (रविवार) शाम छह बजे तक 80 प्रतिशत मतदान हुआ। 2013 के विधानसभा चुनाव मतदान का प्रतिशत 81.34 प्रतिशत था। धौलपुर उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के अलावा 13 अन्य उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला मतपेटियों में बंद हो गया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अश्वनी भगत ने पीटीआई-भाषा को बताया कि धौलपुर उपचुनाव के लिये 231 मतदान केन्द्रों पर 1500 चुनाव कर्मियों को लगाया गया था। मतदान निर्बाध एवं शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिये सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये थे। उन्होंने बताया कि मतदान केन्द्र संख्या 163 पर तकनीकी खामियों की वजह से मतदान को रोकना पड़ा था, इस बारे में हमने भारत के चुनाव आयोग को सूचित कर दिया है और यहां पुन:मतदान के बारे में निर्देशानुसार कार्यवाही की जायेगी। धौलपुर विधानसभा में भाजपा की प्रत्याशी शोभारानी और कांग्रेस के बनवारी लाल शर्मा के अलावा 12 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित 13 अन्य लोगों के राजनीतिक भाग्य का फैसला मतपेटियों में बंद हो गया है। उपचुनाव के लिये 2100 पुलिस, होमगार्ड, अद्र्वसैनिक बल तैनात किये गये थे। उपचुनाव में वीवीपीएटी मशीन का प्रयोग किया गया है जो राजस्थान में किसी भी चुनाव में पहली बार किया गया है।

अजमेर: बीफ पर बयान देने से अजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनको दीवाने के पद से हटाने का एलान किया गया है। उन्होंने पीएम मोदी से देश में गौवंश के वध और इनके मांस की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की थी। साथ ही मुस्लिम समाज से कहा था कि वे पहल करें ताकि बीफ को लेकर दो समुदायों के बीच पनप रहे वैमनस्य पर विराम लगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनके भाई अलाउद्दीन आलिमी ने जैनुल को पद से हटाने का एलान किया और स्वयं को दीवान घोषित कर दिया। जैनुल ने तीन तलाक को भी गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि उनके पूर्वज ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती ने इस देश की संस्कृति को इस्लाम की नियमों के साथ अपना कर मुल्क में अमन-शान्ति और मानव सेवा के लिये जीवन सर्मपित किया। उसी तहजीब को बचाने के लिये गरीब नवाज के 805 उर्स के मौके पर वह और उनका परिवार बीफ के सेवन त्यागने की घोषणा करता है। वह हिन्दुस्तान के मुसलमानों से यह अपील करते हैं कि देश में सद्भावना के पुनस्थार्पन के लिये इसको त्याग कर मिसाल पेश करें।

जयपुर: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को जयपुर की अदालत में इंद्रेश कुमार और साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ सप्लीमेंट्री फाइनल रिपोर्ट दाखिल की है। इस रिपोर्ट में एनआईए ने कहा, इन दोनों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। कोर्ट एनआईए की रिपोर्ट पर 17 अप्रैल को फैसला सुनाएगी। जयपुर की कोर्ट ने इस मामले में एनआईए से पूछा कि अब तक फरार चल रहे चार अन्य आरोपियों की संपत्ति का ब्यौरा क्यों दाखिल नहीं किया गया है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को करेगा। कोर्ट में एनआईए ने बताया कि साध्वी और इंद्रेश के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है जिसकी बिनाह पर मामले की जांच को आगे बढ़ाया जा सके। वहीं दो अन्य आरोपियों की मौत हो चुकी है। आपको बता दें कि जयपुर के स्पेशल कोर्ट ने अजमेर बम विस्फोट कांड में असीमानंद समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया था, जबकि दोषी पाए गए भवेश पटेल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता देवेंद्र गुप्ता और को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 को दरगाह परिसर में हुए बम विस्फोट में तीन जायरीन मारे गए थे और 15 जायरीन घायल हो गए थे। विस्फोट के बाद पुलिस को तलाशी के दौरान एक और लावारिस बैग मिला था जिसमें बम के साथ टाइमर लगा था।

जयपुर: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवाणी ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से उन्होंने बहुत सी चीजें सीखी जो उनके चरित्र विकास में मददगार साबित हुईं। राजस्थान के सिरोही जिले के आबू रोड पर स्थित ब्रह्म कुमारी कैंपस में ब्रह्मकुमारी की 80वीं वषर्गांठ के मौके पर आयोजित समारोह में आडवाणी ने कहा कि संघ ने चरित्र निर्माण में मदद की और उन्होंने अनुशासन के साथ कई चीजें संगठन से सीखी। उन्होंने कहा कि संघ नि:स्वार्थ भाव, ईमानदारी और प्रामाणिकता के साथ आर्दश व्यक्तित्व का निर्माण करता है. मैं ऐसे संगठन का सदस्य रहा हूं और आज भी हूं जो राष्ट्रनिर्माण के लिये सेवा करता है। आरएसएस की विचारधारा कभी भी गलत कार्यों को बढ़ावा देने का काम नहीं करती। मैंने भी अपने जीवन और आचरण में कभी मूल्यों और आदर्शों से समझौता नहीं किया। आडवाणी ने ब्रह्म कुमारी की विचारधारा की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्था की प्रमुख दादी जानकी 101 वर्ष की आयु में भी इसका संचालन कर रही है, यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस संस्था से प्रारंभ से ही जुड़ा रहा हूं. मैंने अपनी आंखों से देखा है कि कैसे इसके संस्थापक दादा लेखराज ने ओम मंडली से शुरुआत की थी। दादा लेखराज एक आदर्श व्यक्ति थे, उन्होंने वैसा ही आदर्श संगठन बनाया है। इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है।

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