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जयपुर/नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने खिलाफ बागी तेवर अपनाने वाले सचिन पायलट की कांग्रेस के साथ सुलह और राहुल गांधी के साथ उनकी मीटिंग के बाद 'घरवापसी' से नाखुश माने जा रहे हैं। सीएम ने आज इस सवाल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी कि वे उसके साथ वापस काम कैसे करेंगे, जिसे उन्होंने 'निकम्मा' करार दिया था। गहलोत ने कहा कि उन विधायकों की शिकायतों को सुनना उनकी जिम्मेदारी है, जो उनसे नाराज हैं। बागियों के साथ सुलह के बारे में पूछे सवाल पर सीएम ने कहा कि यदि पार्टी नेतृत्व इन विधायकों को माफ कर दिया है, तो वे इन विधायकों को गले से लगाएंगे।
जिन सचिन पायलट को गहलोत ने राज्य के उप मुख्यमंत्री पद से बेदखल किया था, वे आज राजस्थान लौटे। सीएम के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार करने के करीब एक माह बाद वे राज्य में वापस लौटे हैं। उनकी वापसी की शर्तों में से एक यह है कि एक पैनल उनकी और बागी 19 विधायकों की शिकायतों को सुनेगा। पैनल में प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं।
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नई दिल्ली: राजस्थान में सरकार बचाने की कोशिश में जुटे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लड़ाई अब अंतिम पड़ाव की ओर पहुंच गई है। 14 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाया गया है, जहां विश्वास मत की तैयारी है। लेकिन इससे पहले विधायकों को तोड़ने की आशंका भी जताई जा रही है। यह डर न सिर्फ कांग्रेस को बल्कि भाजपा को भी सताने लगा है। यही वजह है कि उसके 6 विधायक गुजरात में देखे गए हैं। वहीं कांग्रेस ने अपने विधायकों को जैसलमेर भेज दिया है। इससे पहले उन्हें काफी दिनों तक जयपुर के एक होटल में ठहराया गया है। उधर बागी विधायकों के सामने भी शर्तें रखी गई हैं कि अगर वे मान लेते हैं तो उनको दोबारा शामिल करने पर विचार किया जा सकता है। इस पूरी कवायद के बीच रविवार को जैसलमेर में सीएम अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक को संबोधित किया है।
उनका अंदाज एक सेनापति की तरह था जो निर्णायक युद्ध की तरफ जाने को तैयार है। उन्होंने विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि सदन में सभी को एकता दिखानी है। हम सभी 'लोकतंत्रिक योद्धा' हैं। गहलोत ने आगे कहा, 'हम इस लड़ाई को जीतने जा रहे हैं और साढ़े तीन साल बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव भी जीतेंगे।
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जयपुर: राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच सचिन पायलट के लिए एक अच्छी खबर आई है। विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले की जांच कर रही स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने यह मामला अब एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को सौंप दिया है। साथ ही इसमें से राजद्रोह की धारा भी हटा ली है। गौरतलब है कि सचिन पायलट और उनके गुट के विधायकों को एसओजी ने राजद्रोह की धारा के तहत ही नोटिस दिया था। इसी बात पर सचिन पायलट ने कड़ी नाराजगी जताई थी। लेकिन अब एसओजी द्वारा राजद्रोह की धारा हटाने और मामला एंटी करप्शन ब्यूरो को सौंपने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि पायलट की नाराजगी कम हो सकती है।
इस बीच हाईकोर्ट ने राज्यपाल को पद से हटाने की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। वकील शांतनु पारीक ने यह अर्जी लगाई थी। उन्होंने विधानसभा का सत्र नहीं बुलाने की वजह से राज्यपाल को हटाने की मांग की थी। राज्यपाल 14 अगस्त से सत्र की मंजूरी दे चुके हैं। ऐसे में कोर्ट ने पारीक की अर्जी को तथ्यहीन बताकर खारिज कर दिया।
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जयपुर: राजस्थान सरकार ने रविवार को राज्य न्यायिक सेवा में गुर्जर सहित अधिक पिछड़े वर्गों को पांच प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी है। राजस्थान सरकार ने इस संबंध में एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी।
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सरकार ने राजस्थान न्यायिक सेवा नियम, 2010 में संशोधन किया है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर एक प्रतिशत के स्थान पर पाँच प्रतिशत आरक्षण देने की पहल की गई है।
अधिक पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार लंबे समय से न्यायिक सेवा नियमों में संशोधन की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें राज्य न्यायिक सेवा में एक प्रतिशत के बजाय पांच प्रतिशत आरक्षण मिल सके। अधिक पिछड़े वर्गों में गुर्जर, राइका-रबारी, गदिया-लोहार, बंजारा और गडरिया शामिल हैं।
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