जयपुर/नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने खिलाफ बागी तेवर अपनाने वाले सचिन पायलट की कांग्रेस के साथ सुलह और राहुल गांधी के साथ उनकी मीटिंग के बाद 'घरवापसी' से नाखुश माने जा रहे हैं। सीएम ने आज इस सवाल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी कि वे उसके साथ वापस काम कैसे करेंगे, जिसे उन्होंने 'निकम्मा' करार दिया था। गहलोत ने कहा कि उन विधायकों की शिकायतों को सुनना उनकी जिम्मेदारी है, जो उनसे नाराज हैं। बागियों के साथ सुलह के बारे में पूछे सवाल पर सीएम ने कहा कि यदि पार्टी नेतृत्व इन विधायकों को माफ कर दिया है, तो वे इन विधायकों को गले से लगाएंगे।
जिन सचिन पायलट को गहलोत ने राज्य के उप मुख्यमंत्री पद से बेदखल किया था, वे आज राजस्थान लौटे। सीएम के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार करने के करीब एक माह बाद वे राज्य में वापस लौटे हैं। उनकी वापसी की शर्तों में से एक यह है कि एक पैनल उनकी और बागी 19 विधायकों की शिकायतों को सुनेगा। पैनल में प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं।
गहलोत ने कहा, 'यदि कोई एमएलए मुझसे नाराज है तो उसकी शिकायतों को सुनना मेरी जिम्मेदारी है। मैं ऐसा पहले भी करता रहा हूं और अभी भी यही करूंगा।' हालांकि उन्होंने यह सवाल जरूर किया कि बागी क्यों गए थे और उनसे क्या 'वादे' किए गए हैं?
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जो पार्टी हाईकमान द्वारा की गई नपी-तुली आलोचना के विपरीत, बेदखल किए गए अपने डिप्टी सचिन पायलट के खिलाफ जमकर बरसे थे, सुलह की प्रक्रिया से पूरी तरह सहमत नहीं थे। गौरतलब है कि पिछले माह गहलोत ने सार्वजनिक रूप से उनकी सरकार को गिराने के लिए भाजपा के साथ डील करने में मामले में कोसा था। उन्होंने 42 साल के इस नेता को निकम्मा तक करार दिया था। गहलोत ने पायलट को ऐसा नेता बताया था जो केवल अपने लुक और अच्छी अंग्रेजी से मीडिया को प्रभावित करता है।
मिल सकती है यूपी की कमान
राजस्थान की सियासत में सीएम अशोक गहलोत पार्टी में उस वक्त भी दबाव में दीखे थे, जब उनकी सरकार ने सचिन पायलट के खिलाफ लगाए गए 'राष्ट्रद्रोह' के आरोप को वापस लिया था। तब से ऐसे संकेत मिल रहे थे कि पार्टी में राजस्थान मुद्दे पर चर्चा का दौर जारी है। जिसके परिणाम स्वरूप विधानसभा में 14 अगस्त को विश्वास मत से पहले सचिन पायलट गुट का विधिवत पार्टी में स्वागत किया गया है।
संभव है कि सचिन पायलट को उत्तर प्रदेश की कमान थमा दी जाए। ऐसा हुआ तो पार्टी में सचिन पायलट की पारी ऐतिहासिक बन जाएगी। उत्तर प्रदेश सचिन पायलट का पैतृक प्रदेश है। उनके पिता स्वर्गीय राजेश पायलट ने चुनावी राजनीति राजस्थान में की। लेकिन वह उत्तर प्रदेश के ज़िला बुलंदशहर के सिकंदराबाद स्थित अपने पैतृक गांव से हमेशा जुड़े रहे थे।