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नई दिल्ली: माओवादियों से कथित तौर पर संबंध होने के मामले में नजरबंद मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज की पुणे की अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद पुणे पुलिस ने शुक्रवार देर रात फरीदाबाद के सूरजकुंड स्थित उनके पहुंचकर सुधा भारद्वाज को गिरफ्तार कर लिया। पुणे पुलिस सुधा भारद्वाज को गिरफ्तार कर सूरजकुंड थाने गई। दूसरी तरफ दो अन्य एक्टिविस्ट वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण फेरेरा को भी 6 नवंबर तक के लिए हिरासत में भेज दिया गया है। पुणे की एक अदालत ने शुक्रवार को सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण फेरेरा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कथित माओवादियों से संबधों की वजह से इन्हें गिरफ्तार किया गया था।

सूरजकुंड थाना एसएचओ विशाल कुमार ने बताया कि पुणे पुलिस ने मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज की गिरफ्तारी के बारे में उन्हें सूचना दे दी थी। पुणे पुलिस ने उन्हें बताया कि वह सुधा भारद्वाज को दिल्ली लेकर जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि सुधा भारद्वाज भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में आरोपी हैं। बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी से पहले ही सुधा भारद्वाज के घर के बाहर तैनात फरीदाबाद पुलिस के जवानों को हटा लिया गया था।

 

दरअसल एक जनवरी 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया गया था, जहां हिंसा होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इतिहास में जाएं तो भीमा-कोरेगांव लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास हुई थी। ये लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की फौज के बीच हुई थी। इस लड़ाई में अंग्रेज़ों की तरफ से महार जाति के लोगों ने लड़ाई की थी और इन्हीं लोगों की वजह से अंग्रेज़ों की सेना ने पेशवाओं को हरा दिया था।

महार जाति के लोग इस युद्ध को अपनी जीत और स्वाभिमान के तौर पर देखते हैं और इस जीत का जश्न हर साल मनाते हैं। इस साल जनवरी में भीमा-कोरेगांव में भी लड़ाई की 200वीं सालगिरह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया। इस दिन लोग यह दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए। भीम कोरेगांव के विजय स्तंभ में शांतिप्रूवक कार्यक्रम चल रहा था। अचानक भीमा-कोरेगांव में विजय स्तंभ पर जाने वाली गाड़ियों पर किसी ने हमला बोल दिया।

इसी घटना के बाद दलित संगठनों ने 2 दिनों तक मुंबई समेत नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद, सोलापुर सहित अन्य इलाकों में बंद बुलाया जिसके दौरान फिर से तोड़-फोड़ और आगजनी हुई। इसके बाद पुणे के ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस रवीन्द्र कदम ने भीमा-कोरेगांव में दंगा भड़काने के आरोप में विश्राम बाग पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया और पांच लोगों को गिरफ्तार किया।

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