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चंडीगढ़: हरियाणा की एक स्थानीय अदालत ने स्व-घोषित संत रामपाल को हत्या के दो मामलों में गुरुवार को दोषी करार दिया है। सजा की घोषणा 16 और 17 अक्टूबर को की जा सकती है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) डॉक्टर चालिया ने 2014 के हत्या मामले में सजा सुनाई है। बरवाला के सतलोक आश्रम प्रकरण में हत्या के मुकदमा नंबर 429 और 430 में हिसार कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। इस मामले में सतलोक आश्रम के संचालक और उनके अनुयायियों के ऊपर जिरह सोमवार को ही पूरी हो गई थी।

19 नवंबर 2014 को हिसार के बरवाला शहर के सतलोक आश्रम में एक बच्चे और चार महिलाओं की लाश मिलने के बाद रामपाल और उसके 27 अनुयायियों के खिलाफ हत्या और बंधक बनाए जाने के तहत केस दर्ज किया गया था। जबकि, एक अन्य केस रामपाल और उसके अनुयायिकों के खिलाफ तब दर्ज हुआ जब आश्रम में 18 नवंबर को एक महिला का शव बरामद हुआ।

 

5500 पेज की चार्जशीट

पुलिस ने रामपाल के खिलाफ 5500 पेजी की चार्जशीट तैयार की थी। इस चार्जशीट में पुलिस ने देशद्रोह, हत्या, हत्या का प्रयास सहित विभिन्न मामलों में 939 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर उनके बयान दर्ज किए हैं। इस मामले में पुलिस द्वारा करीब 400 गवाह बनाए गए थे।

गिरफ्तारी पर 50 करोड़ खर्च

साल 2014 में रामपाल को गिरफ्तार करने में हरियाणा पुलिस के पसीने छूट गए थे। कुल 18 दिन तक चली लुकाछिपी के बाद पुलिस ने रामपाल को गिरफ्तार कर लिया था पर इस पूरे ऑपरेशन पर राज्य पुलिस का 50 करोड़ रुपये से ज्याद का खर्च हुए थे। 19 नंबर 2014 की रात 9 बजकर 21 मिनट पर रामपाल को चेहरा छिपाकर आश्रम से बाहर लाया गया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें फौरन पंचकुला के अस्पताल ले जाया गया था।

2013 में आर्यसमाजियों से हिंसक झड़प हुई थी

संत रामपाल के खिलाफ आर्यसमाज के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने फरवरी 2013 में उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद 12 मई 2013 को नाराज आर्य समाजियों और रामपाल के समर्थकों में एक बार फिर झड़प हुई। इस हिंसक झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई, करीब 100 लोग घायल हो गए। इसका मुकदमा अदालत में पहुंचा। इसी मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस को रामपाल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे।

22 महीने जेल काटी थी

रामपाल अपने प्रवचन में अक्सर आर्य समाजियों को निशाना बनाया करते थे। 2006 की जुलाई में रामपाल ने अपनी एक पुस्तक में आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद पर विवादास्पद टिप्पणी की थी। इसके बाद आर्य समाज के समर्थकों और रामपाल के समर्थकों के बीच आश्रम के बाहर हिंसक झड़प हुई थी। इस दौरान 13 जुलाई को पुलिस ने करौंथा आश्रम को अपने कब्जे में ले लिया। इस मामले में हरियाणा पुलिस ने रामपाल और उसके 24 सहयोगियों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। तब उसे 22 महीने तक जेल में रहना पड़ा था। इस मामले में रामपाल की अप्रैल 2008 में रिहाई हो गई थी। बाद में 2009 में रामपाल को आश्रम भी वापस मिल गया था।

जमीन धोखाधड़ी को लेकर भी केस लंबा चला था

साल 2006 में रामपाल के हिसार के सतलोक आश्रम में जमीन को लेकर भी विवाद हुआ था। इस विवाद में एक व्यक्ति की हत्या भी हुई थी, जिसमें रामपाल के खिलाफ केस चला था। इस दौरान रामपाल समर्थकों ने हिसार की अदालत में बवाल मचा दिया था जिसके कारण केस को हाईकोर्ट में चलाना पड़ा था। उस वक्त हाईकोर्ट के बार-बार बुलाने पर भी रामपाल हाजिर नहीं हुआ था। हालांकि मई 2018 में 12 साल से चल रहे जमीन धोखाधड़ी के मामले में रामपाल को अदालत ने बरी कर दिया था।

जूनियर इंजीनियर से संत

1951 में रामपाल का जन्म सोनीपत के धनाणा गांव में हुआ था। अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद वह हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी ज्वाएन की।

1977 से सरकारी नौकरी कर रहे रामपाल की मुलाकात कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद जी से हुई। उनसे मुलाकात के बाद रामपाल की सत्संग करने में रूचि हो गई।

1995 में रामपाल ने 18 साल की सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूर्णकालिक रूप से प्रवचन करने लगे। 1999 में हरियाणा के करौंथा गांव में सतलोक आश्रम की स्थापना की। वह अपने को कबीरपंथी होने के दावा करते हैं।

कष्ट निवारण के लिए स्पेशल पूजा

पुलिस की जांच में पता चला था कि रामपाल अपने आश्रम में कष्ट निवारण के नाम पर भी स्पेशल पूजा कराता था। हर सप्ताह या 15 दिनों के बाद लगभग दो से तीन हजार भक्त स्पेशल पूजा में शामिल होते थे। इस पूजा के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 9 हजार रुपये लिए जाते थे। आश्रम में रोजाना के चढ़ावे के अलावा नामदान देने के भी अलग से पैसे वसूले जाते थे।

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