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नई दिल्ली: हरियाणा के बहुचर्चित मिर्चपुर कांड में दिल्ली हाईकोर्ट ने एेतिहासिक फैसला सुनाते हुए 20 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मामले में पुलिस ने 97 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। 2010 में हरियाणा के मिर्चपुर में भीषण हिंसा फैली थी। कई दिनों तक दलितों को डर के साये में जीना पड़ा था। आज शुक्रवार को हाईकोर्ट ने मामले के सभी दोषियों को एससी/एसटी एक्ट के तहत दोषी पाया और सजा सुनाई। हरियाणा के मिर्चपुर कांड में दलितों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था। दलितों पर हमले के साथ-साथ उनके घरों में आग लगा दी गई थी।

बताते चलें कि इससे पहले दिल्ली की निचली अदालत 3 दोषियों को पहले ही उम्र कैद की सजा सुना चुका है। आज 17 और आरोपियों को दोषी मानते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई है। तकरीबन आठ साल पहले अप्रैल 2010 में हरियाणा के मिर्चपुर गांव में 70 साल के दलित बुजुर्ग और उसकी बेटी को जिंदा आग के हवाले कर दिया गया था। इस घटना के बाद गांव के दलितों ने पलायन कर दिया था।

कोर्ट ने कहा कि इस घटना में दलितों के 254 परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। घटना के चलते दलितों को अपना गांव मिर्चपुर छोड़कर पलायन करना पड़ा। कोर्ट ने कहा कि आजादी के 70 साल के बाद भी दलितों के साथ इस तरह की घटना बेहद शर्मनाक है। दलितों के खिलाफ अभी भी अत्याचार कम नहीं हुए हैं। दोषियों को सजा सुनाने के साथ-साथ कोर्ट ने हरियाणा सरकार को यह भी आदेश दिया कि दोबारा उन दलितों को गांव में बसाया जाए। कोर्ट ने मामले में दंगा भड़काने के आरोप में दोषी पाए गए 7 लोगों को डेढ़ साल की सजा सुनाई थी। साथ ही एक साल के प्रोबेशन पर 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया था। मामले में 82 आरोपियों को बरी कर दिया था।

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