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शिमला: हिमाचल प्रदेश में चौदहवीं विधानसभा से अयोग्य करार दिए गए छह विधायक पेंशन के लाभ से वंचित होंगे। बुधवार को प्रदेश विधानसभा ने सदस्यों के भत्ते व पेंशन संशोधन विधेयक-2024 को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान जहां कुछ सदस्यों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से अयोग्य घोषित किए गए सदस्यों को विधेयक को सदन की प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया। सदन में हुई चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने संशोधन विधेयक को वापस लेने का मामला उठाया। मुख्यमंत्री सुक्खू संशोधन विधेयक को लेकर अडिग रहे और संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया।

दल-बदल कानून के तहत कार्यवाही करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना। विधानसभा से पारित होने के बाद संशोधन विधेयक राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए राजभवन में भेजा जाएगा।

सदन में एक घंटे से अधिक समय तक संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सत्ता व कुर्सी सदैव साथ नहीं रहती, मगर राजनीति में सिद्धांत जिंदा रहते हैं।

उन्होंने कहा कि दल-बदल करने वाले सदस्यों की मुझसे नाराजी हो सकती है, मगर उन्होंने पार्टी को धोखा किया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के उद्देश्य से संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया।

हैरानी इस बात को लेकर होती है कि विधायक रात को भोजन हमारे साथ करते हैं तथा सुबह मत दान कहीं और देते हैं। उन्होंने स्वच्छ लोकतंत्र के लिए संशोधन विधेयक का समर्थन करने का सदन से आग्रह किया। ताकि कोई दल-बदल की हिम्मत न कर सके। मुख्यमंत्री सुक्खू ने सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन संशोधन विधेयक को सोमवार को सदन में पेश किया था। बुधवार को विधेयक पर भोजन अवकाश के बाद सदन में चर्चा हुई।

राजनीति में आगे बढ़ने की सोच होनी चाहिए: जयराम

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हम राजनीतिक क्षेत्र में हैं, जो हो गया है, वह तो हो गया। हमें आगे बढ़ने की सोच रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बिल में प्रतिशोध की भावना है। इस पर दल-बदल का विषय कहां से आया है।

उन्होंने कहा कि अगर राज्यसभा में वोट किसी और को दिया है, तो उसमें सदस्यता कहां जाती है। व्हिप के उल्लंघन पर इनकी सदस्यता गई है। दल-बदल के तहत कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि कांग्रेस की ओर से अयोग्य घोषित किए गए विधायकों ने भाजपा की सदस्यता तो कई दिनों बाद ली थी।

उन्होंने कहा कि सुक्खू भाई जल्दबाजी में हैं, हर आदमी गलती करता है, रोज करता है। ऐसे में उसे मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकांश सदस्य इस सदन में ऐसे हैं जोकि वेतन, पेंशन, भत्तों से परिवार का खर्चा चलाते है। यह बात समझनी होगी।

उन्होंने कहा कि कुछ चीजों पर गंभीरता से सोचना होगा। राजनीतिक लड़ाई पूरी हो गई है, अब आगे बढ़ना चाहिए। इस बिल को सलेक्ट कमेटी में भी न भेज कर वापस लिया जाना चाहिए।

चैतन्य और भुट्टो पेंशन से वंचित होंगे

कांग्रेस के अयोग्य घोषित किए गए छह विधायकों में से दो चैतन्य शर्मा व देवेंद्र भुट्टो चौदहवीं विधानसभा में पहली बार चुनकर आए थे। यदि संशोधन विधेयक को राजभवन की स्वीकृति मिलती है तो चैतन्य शर्मा व देवेंद्र भुट्टो को मासिक पेंशन से वंचित होना पड़ेगा।

जबकि राजेंद्र राणा व रवि ठाकुर की पेंशन में चौदहवीं विधानसभा का कार्यकाल नहीं जुड़ेगा। वर्तमान विधानसभा में भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीतकर आए सुधीर शर्मा व इंद्रदत्त लखनपाल को भविष्य में पेंशन निर्धारण में सवा साल की अवधि की पेंशन नहीं मिलेगी।

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