नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान अब तक विदेश सचिव स्तर की वार्ता के लिए पारस्परिक सुविधानुसार तारीख तय नहीं कर पाए हैं। नई दिल्ली ने आज जोर दिया कि मुंबई हमला मामले में मुकदमा आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान की गंभीरता की परख है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, फिलहाल, हमारे पास कोई पारस्परिक सुविधानुसार तारीख नहीं है। उनसे भारत-पाक विदेश सचिव स्तर की वार्ता की स्थिति और यहां दिए गए एक साक्षात्कार में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित के फरवरी के पहले सप्ताह में बातचीत की संभावना व्यक्त किए जाने के बारे में पूछा गया था। पठानकोट आतंकवादी हमला मामले में जांच में प्रगति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि दोनों सरकारें मामले के संबंध में लगातार बातचीत कर रही हैं लेकिन आगे कोई ब्योरा देने से इंकार कर दिया।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जहां यह फैसला किया गया कि आतंकवाद से संबंधित मुद्दे से दोनों देशों के एनएसए निपटेंगे वहीं यह स्पष्ट है कि विदेश सचिव मिलेंगे तो भारत पठानकोट हमले का मामला उठाएगा। पाकिस्तानी अदालत के मुंबई हमले के मुख्य सरगना जकीउर रहमान लखवी की आवाज का नमूना मांगने वाली सरकार की याचिका खारिज करने के बारे में मीडिया में आई खबरों पर स्वरूप ने कहा कि भारत को किसी आधिकारिक माध्यम के जरिए इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। प्रवक्ता ने कहा, हम इस्लामाबाद में मुंबई आतंकवादी हमला मामले में मुकदमे को भारत की ओर निर्देशित आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान की गंभीरता की जांच के तौर पर देखते हैं। मुंबई आतंकवादी हमले की साजिश, प्रशिक्षण और वित्तपोषण पाकिस्तान में किया गया जहां 99 फीसदी साक्ष्य है। प्रवक्ता ने कहा, यह पाकिस्तान की जिम्मेदारी है कि वह सच्चाई का पता लगाए और मौजूदा मुकदमा मामले में जरूरी साक्ष्य पेश करे ताकि अपराधियों को न्याय के दायरे में लाया जा सके। पाकिस्तानी सरकार ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर किया था जिसमें संदिग्धों की आवाज के नमूने मांगे गए थे ताकि उनकी तुलना भारतीय खुफिया एजेंसियों ने जिन आवाजों को टैप किया था उससे की जा सके। लेकिन सोमवार को अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया था।