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नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को अदालतों में तारीख पर तारीख की संस्कृति को बदलने और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया। वे भारत मंडपम में आयोजित दो दिवसीय जिला न्यायापालिका राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित कर रही थीं। इस मौके पर राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के लिए नए झंडे और प्रतीक चिह्न का भी अनावरण किया।

न्याय की रक्षा, न्यायाधीशों की जिम्मेदारी: राष्ट्रपति

सुप्रीम कोर्ट की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि अदालतों में मामले लंबित होना हम सभी के लिए एक बड़ी चुनौती है और इसके समाधान के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि देश के सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है कि वे न्याय की रक्षा करें। उन्होंने अदालती माहौल में आम लोगों का तनाव का स्तर बढ़ जाता है, जिसे उन्होंने ब्लैक कोर्ट सिंड्रोम नाम दिया। उन्होंने इस विषय पर अध्ययन का भी सुझाव दिया। उन्होंने महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में बढ़ोतरी पर भी प्रसन्नता जताई।

कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए। राष्ट्रपति मुर्मू ने भारत मंडपम में हुए कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट का ध्वज और प्रतीक चिह्न भी जारी किया।

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