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नई दिल्ली: आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र बिंदु है और उसके यहां गैरकानूनी संगठनों की भरमार है। इन संगठनों में हाल ही में प्रतिबंधित किये गए जमात-उद-दावा जैसे संगठन शामिल हैं। साथ ही पाकिस्तान भारत में निषिद्ध आधे से ज्यादा संगठनों को उकसाता और आर्थिक मदद मुहैया कराता है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (एनटीसीए) अब तक 69 आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित घोषित कर चुका है।

दस्तावेजों के मुताबिक, पाकिस्तान अभी तक कश्मीर में सक्रिय हिजबुल मुजाहिदीन, हरकत उल मुजाहिदीन और अल बद्र जैसे मुख्य आतंकवादी समूहों को लेकर आंखे मूंदे हुए है। पाकिस्तान ने पुलवामा हमले के बाद बढ़ते वैश्विक दबाव के चलते बृहस्पतिवार को 2008 के मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के संगठन जमात उद दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था। पुलवामा आतंकवादी हमले में 40 जवान शहीद हुए थे। जमात उद दावा करीब 300 मदरसों व स्कूलों, अस्पतालों और एंबुलेंस सेवा का संचालन करता है।

दोनों अन्य समूहों के करीब 50,000 स्वयंसेवक और सैंकड़ों अन्य कर्मी हैं।

एनटीसीए के मुताबिक प्रतिबंधित किये गए ज्यादातर संगठन बलूचिस्तान, गिलगिट-बाल्टिस्तान और संघीय प्रशासन वाले कबाइली इलाकों (एफएटीए) में स्थित हैं। भारतीय गृह मंत्रालय के दस्तावेज़ बताते हैं कि भारत के कुल 41 प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों में से लगभग आधे या तो पाक परस्त हैं या उनके शीर्ष नेतृत्व पड़ोसी मुल्क में हैं या उन्हें पाकिस्तान द्वारा मदद मुहैया करायी जाती है। इन समूहों में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, हरकत-उल-मुजाहिदीन, अल बद्र, दुख्तरां-ए-मिल्लत, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान कमांडो फोर्स और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन शामिल हैं।

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