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नई दिल्ली: यूनियनों के कड़े विरोध को दरकिनार करते हुए श्रम मंत्रालय ने आज {गुरूवार) चालू वित्त वर्ष में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश की सीमा बढ़ाकर दोगुना यानी 10 प्रतिशत करने की घोषणा की। इस तरह ईपीएफओ चालू वित्त वर्ष में शेयर बाजारों में 13,000 करोड़ रूपये का निवेश कर सकेगा। ईटीएफ में 2016-17 में ईपीएफओ की निवेश की सीमा निवेश योग्य आय का 10 प्रतिशत की गई है। 2015-16 में यह सीमा पांच प्रतिशत थी। श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हमने ईपीएफओ की निवेश योग्य जमा का 10 प्रतिशत तक ईटीएफ में निवेश करने की सीमा के बारे में पहले ही अधिसूचना जारी कर दी है। ईपीएफओ ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में ईटीएफ में 1,500 करोड़ रूपये का निवेश किया है। शेष छह महीने में वह 11,500 करोड़ रूपये का और निवेश ईटीएफ में करेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या श्रम मंत्रालय ने इस बारे में ईपीएफओ न्यास की मंजूरी मांगी है, दत्तात्रेय ने कहा कि इस मुद्दे पर केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में दो बार विचार विमर्श हो चुका है।

नई दिल्ली: कर विभाग ने आज जीएसटी रिटर्न व रिफंड पर नियमों व उनके प्रारूप के दो और मसौदे आज जारी किए। इसके तहत करदाता द्वारा करों, ब्याज व शुल्कों के रिफंड का दावा करने के लिए मासिक रिटर्न भरना होगा व तय प्रक्रिया का पालन करना होगा। भागीदारों को उक्त मसौदा नियमों पर टिप्पणी के लिए कल तक का समय दिया गया है। इन नियमों को वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 30 सितंबर को होने वाली दूसरी बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा। सरकार जीएसटी का कार्यान्वयन एक अप्रैल 2017 से करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। रिफंड के नियमों के तहत प्रत्येक पंजीकृत करदाता को एक तय फार्म (जीएसटीआर-3) में मासिक रिटर्न दाखिल करना होगा। इसी तरह प्रत्येक पंजीकृत करदाता द्वारा सालाना रिटर्न इलेक्ट्रोनिक रूप से दाखिल करने का प्रावधान है। नियम के अनुसार कराधान के दायरे में आने वाले हर उस व्यक्ति को सालाना रिटर्न दाखिल करनी होगी जिसका कुल कारोबार किसी वित्त वर्ष में एक करोड़ रूपये से अधिक है। नांगिया एंड कंपनी के निदेशक (अप्रत्यक्ष काराधान) के अनुसार मसौदा नियम कंपोजिशन स्पलायरों द्वारा त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने के तरीके व रूपरेखा, प्रवासी करदाता द्वारा रिटर्न भरने आदि के तरीकों को बताया गया है।

नई दिल्‍ली: मुंबई-न्यूयॉर्क विमान में सवार यात्री को बासी भोजन परोसने के मामले में शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने एयर इंडिया को एक लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एयरलाइन द्वारा साल 2015 में दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा, ''सेवा में कमी की प्रकृति'' इस तरह की है जिससे कई यात्रियों की सेहत को नुकसान पहुंच सकता था। न्यायाधीश अजीत भरीहोक की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा,''सेवा में कमी की प्रकृति और इस तथ्य के मद्देनजर कि इससे कई यात्रियों की सेहत को नुकसान पहुंच सकता था, हमें राज्य स्तरीय आयोग का मुआवजे को बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का आदेश गलत नहीं लगता है।'' महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता आयोग ने मुआवजे को 15,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया था। शिकायतकर्ता मालती मधुकर फहाड़े ने दावा किया था कि मुंबई से न्यूयॉर्क विमान में उन्हें बासी भोजन दिया गया था। इसके अलावा उनके चावल के कटोरे में एक बाल भी गिरा हुआ था। राज्य आयोग के आदेश को एयर इंडिया ने चुनौती दी थी।

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप की जानकारी फेसबुक के साथ साझा करने के मामला में बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने कहा कि 25 सितंबर तक का सारा डाटा सुरक्षित है और ये फेसबुक के साथ साझा नहीं होगा। जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने प्रिवेसी पॉलिसी को बरकरार रखा लेकिन साथ ही कहा कि 25 सितंबर से पहले यूजर्स ने जो डाटा शेयर किया है, उसे भी व्हाट्सऐप इस्तेमाल नहीं कर सकता। नई पॉलिसी यूजर्स द्वारा 25 सितंबर के बाद शेयर किए जाने वाले डाटा पर ही लागू होगी। बता दें कि फेसबुक के इन्सटंट मैसेजिंग और वॉइस कॉलिंग ऐप व्हाट्सऐप से संबंधित कंपनियों को शेयर किया जा सकता है। हाइकोर्ट ने कहा अगर उपभोक्ता 25 सितंबर से पहले अपना अकाउंट डिलीट करते हैं तो सर्वर से डाटा डिलीट होगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि अगर उपभोक्ता 25 सितंबर के बाद भी व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं तो उसके बाद का डाटा फेसबुक के साथ साझा हो सकता है। Ads by ZINC हाइकोर्ट का ये फैसला उस पीआईएल पर आया है जिसमें व्हाट्सएप की जानकारी फेसबुक से शेयर करने की पॉलिसी को चुनौती दी गई थी। आपको बता दें कि व्हाट्सएप के नए अपडेट में कंपनी की नई पॉलिसी के लिए यूजर्स की सहमति मांगी जा रही है. इस नई पॉलिसी के तहत व्हाट्सएप अपने यूजर्स का नंबर अपनी पैरेंट कंपनी फेसबुक के साथ साझा करेगा।याचिका में कहा गया था कि फेसबुक की ये नई पॉलिसी बेहद भ्रामक है जिसका नफा-नुकसान आम आदमी आसानी से नहीं समझ पाएगा।

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