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नई दिल्ली: अलीबाबा समूह की 9एप्स ने डिज्नी इंडिया से समझौता किया है जिसके तहत वह अपने गेम मंच पर डिज्नी के मोबाइल गेम उपलब्ध कराएगा। 9एप्स एंड्राइड मंच पर तीसरे पक्ष द्वारा चलाए जाने वाले प्रमुख मार्केटप्लेसों में से एक है। 9एप्स इंडिया के कंट्री मैनेजर इब्राहिम पोपट ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘9एप्स के दुनियाभर में 25 करोड़ उपयोक्ता हैं। भारत में मजबूत स्थिति में मौजूदगी के चलते डिज्नी ने उसके साथ अपने गेम उपलब्ध कराने के लिए समझौता किया है।’ पहली बार डिज्नी ने अपने कुछ प्रमुख गेमों को लोकप्रिय बनाने के लिए किसी तीसरे पक्ष मार्केटप्लेस के साथ समझौता किया है। डिज्नी इंडिया के उपाध्यक्ष समीर गणपति ने कहा कि ग्राहकों के पसंदीदा मंच पर हमारी सामग्री की पहुंच बढ़ाने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। अपने खेल को लोकप्रिय बनाने के लिए हमने 9एप्स के साथ समझौता किया है।

नई दिल्ली: सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य को एक साल का सेवा विस्तार दे दिया। भारतीय स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों का उसके साथ विलय होने की प्रक्रिया के बीच अरुंधति का कार्यकाल बढ़ाया गया है। एक शीर्ष सरकारी सूत्र के अनुसार स्टेट बैंक की मौजूदा प्रमुख का कार्यकाल एक साल बढ़ाया गया है। इससे बैंक को निरंतरता मिलेगी खासकर ऐसे समय में जब उसमें विलय प्रक्रिया जारी है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल की शुरूआत में भारतीय स्टेट बैंक और उसके पांच सहयोगी बैंकों तथा भारतीय महिला बैंक के विलय को मंजूरी दे दी थी। देश में वैश्विक स्तर के बड़े बैंकों को खड़ा करने के लिये यह निर्णय लिया गया। स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद शामिल हैं। इनमें से तीन सहयोगी बैंक शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं। पांचों सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक के विलय के बाद जो भारतीय स्टेट बैंक का जो स्वरूप होगा वह दुनिया में सबसे बड़े बैंक से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होगा। नये बैंक का संपत्ति आधार 37 लाख करोड़ रुपये (555 अरब डालर से अधिक) होगा।

नई दिल्ली: देश के भीतर रखे कालेधन को कर दायरे में लाने के लिये शुरू की गई आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत कुल 65,250 करोड़ रुपये की संपत्ति की घोषणा की गई। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को यह जानकारी दी। योजना चार माह के लिये खुली थी जो कि 30 सितंबर को समाप्त हो गई। जेटली ने बताया कि योजना के तहत कुल 64,275 घोषणायें की गई। उन्होंने कहा जैसे-जैसे ऑनलाइन और दस्तावेज के तौर पर जमा की गई जानकारी को संकलित किया जायेगा कुल राशि का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। दिन में एक बार ये करके, 07 की लड़कियां 14 दिनों में 5 शेड्स तक गोरा रंग पार इन घोषणाओं में कुल 65,250 करोड़ रुपये की संपत्ति की जानकारी दी गई है। इसमें कर और जुर्माने के तौर पर सरकार को 45 प्रतिशत राशि मिलेगी। सरकार ने इस योजना के जरिये अवैध आय और संपत्ति रखने वालों को इसकी घोषणा करने के बाद कर और जुर्माना चुकाकर पाक साफ होने का मौका दिया है। जेटली ने इस बात को दोहराया कि यह एकबारगी घोषणा योजना 1997 की योजना की तरह आम माफी योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि 1997 में घोषित स्वैच्छिक आय घोषणा योजना (वीडीआईएस) में केवल 9,760 करोड़ रुपये का कर मिला। इसमें औसतन प्रति व्यक्ति सात लाख रुपये की घोषणा की गई थी। वित्त मंत्री ने कहा कि आईडीएस 2016 के तहत मिलने वाले कर को भारत की संचित निधि में रखा जायेगा और इसका इस्तेमाल जन कल्याण की योजनाओं में किया जायेगा।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज संसद की एक समिति को बताया कि सरकार नई वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) कर व्यवस्था को पहली अप्रैल, 2017 से लागू करने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है और इस संबंध में जीएसटी परिषद की पहली बैठक काफी सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में सम्पन्न हुई थी। वित्त मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की चौथी बैठक में अपनी शुरूआती टिप्पणी में जेटली ने कहा कि सरकार अब तक जीएसटी को ‘तय समय’ के अनुसार लागू करने के कार्यक्रम पर चल रही है। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार यह बैठक जीएसटी के विषय पर ही था। जेटली ने कहा कि संविधान के अनुसार, जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक (101वें संशोधन) अधिनियम 2016 के प्रावधानों को लागू किए जाने की तिथि से एक साल तक यानी 16 सितंबर 2017 तक केन्द्र सरकार को विनिर्मित उत्पादों पर उत्पाद शुल्क और सेवाओं पर सेवा कर लगाने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार इस संविधान संशोधन अधिनियम के तहत राज्य सरकारों को इस दौरान वस्तुओं की बिक्री पर बिक्री कर या मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाने की छूट होगी। वित्त मंत्री ने इससे आगे कहा कि इस महीने (22-23 तारीख को) जीएसटी परिषद की पहली बैठक सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में हुई। जीएसटी परिषद केन्द्र और राज्यों का महत्वपूर्ण संयुक्त मंच है। जीएसटी परिषद ही जीएसटी व्यवस्था के तहत कर की दरों, छूट वाली वस्तुओं की सूची और जीएटी के दायरे से छूट के लिए इकाइयों के कारोबार की अधिकतम सीमा तय करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसले करने को को अधिकृत है।

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