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नई दिल्ली: उद्योग जगत ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने और बजट को फरवरी के अंत से पहले संसद में पेश करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उद्योग जगत का मानना है कि इस फैसले से बजट में की गई घोषणाओं को वित्त वर्ष की शुरआत से ही तेजी से क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी, जिससे कारोबारी धारणा मजबूत होगी ओर रेलवे पर लोकलुभावन मांगों का दबाव भी कम हो सकेगा। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘रेल बजट को आम बजट में मिलाने तथा योजना और गैर-योजना व्यय के भेद को समाप्त करने से सरकार के भीतर निर्णय की प्रक्रिया सरल और तर्कसंगत होगी। इससे संसाधनों के इस्तेमाल में भी दक्षता आएगी।’’ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 92 साल से चली आर रही परंपरा को समाप्त करते हुए आज रेल बजट को आम बजट में मिलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, ‘यह अच्छी खबर है क्योंकि रेलवे अब देशभर में आधुनिक और दक्ष परिवहन सेवा देने के अपने मूल काम पर ध्यान दे सकेगी।’ कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरण जेटली ने कहा कि 2017-18 का आम बजट पेश करने की तारीख का फैसला केंद्र सरकार विधानसभा चुनावों की तारीख को ध्यान में रखकर करेगी।

इक्रा की वरिष्ठ अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि योजना और गैर योजना व्यय के बजाय खर्च को राजस्व या पूंजी के रूप में वगीकृत करने से राजस्व घाटे को कम करने और पूंजीगत खर्च को बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिया जा सकेगा।

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