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वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनावों का प्राइमरी सत्र जहां अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है, वहीं अमेरिका के इस शीर्ष पद का मुकाबला न्यूयार्क के दो निवासियों यानी रियल एस्टेट क्षेत्र के दिग्गज डोनाल्ड ट्रंप और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के बीच सिमट गया है। इंडियाना के प्राइमरी चुनाव से पहले बड़ी खबर प्रतिष्ठानों और राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी हिलेरी क्लिंटन के हाथ आ सकती है जबकि ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बन सकते हैं।सीएनएन ने अपने हालिया ओपीनियन पोल में कहा कि देश का यही मूड है। सीएनएन:ओआरसी के नए सर्वेक्षण के अनुसार, देशभर में 84 प्रतिशत मतदाता सोचते हैं कि नवंबर में रिपब्लिकन पार्टी की टिकट पर ट्रंप मैदान में होंगे। वहीं 85 प्रतिशत मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी हिलेरी क्लिंटन के हाथ आने की बात कहते हैं। हिलेरी 51 प्रतिशत डेमोक्रेटिक मतदाताओं की पसंद हैं जबकि 49 प्रतिशत रिपब्लिकन मतदाताओं का कहना है कि वे अपना उम्मीदवार ट्रंप को बनाना चाहेंगे।

वॉशिंगटन: शीर्ष अमेरिकी सीनेटरों द्वारा पाकिस्तान को आठ एफ-16 लड़ाकू विमानों की बिक्री के लिए अपने करदाताओं के धन के इस्तेमाल पर रोक लगा दिए जाने के मद्देनजर ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तान को ये विमान खरीदने के लिए अपना ‘राष्ट्रीय कोष पेश करने’ को कहा है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, ‘कांग्रेस ने बिक्री को मंजूरी दे दी है लेकिन महत्वपूर्ण सदस्यों ने यह स्पष्ट किया है कि वे इसके समर्थन के लिए एफएमएफ (विदेशी सैन्य वित्तपोषण) के इस्तेमाल पर आपत्ति करते हैं। कांग्रेस की आपत्तियों के मद्देनजर हमने पाकिस्तानियों से कहा है कि उन्हें इसके लिए अपने राष्ट्रीय कोष को पेश करना चाहिए।’ हालांकि किर्बी ने यह नहीं बताया कि यह निर्णय कब लिया गया और इसके बारे में पाकिस्तान को कब बताया गया। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को 70 करोड़ डॉलर की अनुमानित लागत पर आठ लड़ाकू विमान बेचने के अपने विचार के बारे में कांग्रेस को 11 फरवरी को सूचित किया था।

बीजिंग: चीन ने कथित टेलीकॉम धोखाधड़ी के मामलों में विभिन्न देशों से बड़ी संख्या में ताइवानी संदिग्धों को चीन में प्रत्यर्पित करवाए जाने का बचाव करते हुए कहा है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है और इससे अपराधों से बेहतर ढंग से लड़ने में मदद मिलेगी। विदेशों में टेलीकॉम धोखाधड़ी के 100 से ज्यादा मामलों में 77 ताइवानी नागरिकों समेत कुल 174 संदिग्धों को चीन में इस आधार पर प्रत्यर्पित किया गया कि इस जालसाजी का शिकार होने वाले सभी पीड़ित चीन के निवासी हैं। ताइवान ने कहा कि चीन के ये कदम ‘न्यायेतर अपहरण का असभ्य कृत्य’ है, जो ‘मूलभूत मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन’ दर्शाता है। चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ के तहत आने वाले इंटरनेशनल लॉ स्कूल के उप प्रमुख ली जुकियान ने कहा कि अपराधी कहीं भी हों, चीन को इन मामलों पर क्षेत्रीय न्यायाधिकार है क्योंकि इस धोखाधड़ी का असर चीन पर पड़ा है। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने ली के हवाले से कहा, ‘यह अंतरराष्ट्रीय कानून और चीन के कानून के अनुरूप है कि मलेशिया ने संदिग्धों को चीन के समक्ष प्रत्यर्पित कर दिया। कानून के तहत इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।’ कल मलेशिया ने 32 ताइवानी लोगों समेत कुल 97 लोगों को प्रत्यर्पित किया था।

वाशिंगटन: अमेरिकी थिंक टैंक का मानना है कि 1990 के दशक के आखिर में यूरोप को आतंकवादी संगठन अलकायदा से जितना खतरा था, उससे कहीं अधिक खतरा मौजूदा समय में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकवादियों से है। अमेरिकी थिंक टैंक 'रैंड कार्पोरेशन' के सहायक राजनीतिक वैज्ञानिक कोलिन पी. क्लार्क ने बताया, 'मेरे ख्याल से यूरोप में हालात 1990 के दशक में अलकायदा के होते जो हो रहा था, उससे भी कहीं अधिक दिल दहला देने वाले हैं।' आईएस न केवल इराक व सीरिया में बड़ी तादाद में जमीनों पर कब्जा कर मध्य पूर्व को जीतने का बिगुल बजाया हुआ है, बल्कि पूरे यूरोप में भीषण आतंकवादी हमले कर अपना असल रूप दिखाया है। आईएस के आतंकवादियों ने पिछले साल नवंबर में पेरिस में कई हमले किए, जिसमें 130 लोग मारे गए थे। पिछले महीने भी आईएस ने बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में एक हवाई अड्डे और एक मेट्रो स्टेशन पर तीन बम विस्फोटों को अंजाम दिया, जिसमें 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे। ये आतंकवादी हमले उस आतंकवादी हमले की याद दिलाते हैं, जिसे ओसामा बिन लादेन की सरपरस्ती वाले आतंकवादी समूह अलकायदा ने 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका के न्यूयॉर्क व वाशिंगटन डीसी में अंजाम दिया था, जिसमें करीब 3,000 लोग मारे गए थे।

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